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श्री संवत्सरी प्रतिक्रमण विधि सहित
सिद्धे भो ! पयओ णमो जिणमए, नंदी सया संजमे,
देवं नाग सुवन्न किन्नर गण, सब्भूअ भावच्चि लोगो जत्थ पइडिओ जगमिणं, तेलुक्क मच्चासुरं, धम्मो वड्डउ सासओ विजयओ, धम्मुतरं वड्डउ (४)
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अर्ध पुष्कर वर द्वीप, घातकी खंड और जंबु द्वीप में स्थित भरत, ऐरावत और महाविदेह क्षेत्र में (श्रुत) धर्म की आदि करने वालों को मैं नमस्कार करता हूँ । (१)
अज्ञान रूपी अंधकार के समूह को नाश करने वाले, देवों और राजाओं के समूह से पूजित, मर्यादा को धारण करने वाले और मोह जाल को तोड़ने वाले (श्रुत धर्म) को मैं वंदन करता हूँ । (२)
जन्म, जरा, मृत्यु और शोक का नाश करने वाले, विशेष कल्याण और विशाल सुख को देने वाले, देवेंद्र, दानवेंद्र और नरेंद्र के समूह से पूजित ( श्रुत) धर्म के सार को प्राप्त कर कौन प्रमाद करेगा ? (३)
हे मनुष्यों ! मैं सिद्ध हुए जैनमत को आदर पूर्वक नमस्कार करता हूँ । संयम में सदा वृद्धि करने वाला, देव, नाग कुमार, सुवर्ण कुमार और किन्नर देवों के समूह द्वारा सच्चे भाव से पूजित, जिसमें लोक और यह जगत् प्रतिष्ठित है और तीनों लोक के मनुष्य और असुरादिके आधार रूप शाश्वत (श्रुत) धर्म, वृद्धि को प्राप्त हो, विजयों की परंपरासे चारित्र धर्म वृद्धि को प्राप्त हो । (४)