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मंत्रीसर नाघर नोगुह्य पुछे ते सर्व कहें अधुना हवणा मंत्रौनो पूत्रसरोयो हनी पाणिग्रहण थास्ये ते कहे स्यो कामकरके दासी कहे हमणा छात्र उ.भाषा*
चामर सिंहासण बणावछे सुखासन रथादि वाहण वलीन वीन अव हस्ती दीवर ग्रहणादि नवीनले तिवारे वररुचि विचार जे हवणा अवसर आयो तीवारें नवामोदक वणावी नौसा लौयानें आप अने एकगा था नवौ वणावी सिखावे राय नंद जाणे नही जे सकडाल करेंह नंदराय मारी करीसिरीयो राजठवेह १ एगाथा बालकग लौए गली कहता फिरें अनुक्रमे ए गाथा राजा सुणी राजा मंत्रीने घरे दूतमोकली घरना चरौत्र मंगावे तौवारे दूत तेहनाघरनो सरंजाम जोइ वलतो राजप्रतें कहे महाराज बारुदखानो घाएछे शस्त्रादिक उजवाले छत्र चाम रादिक समस्त वृत्तांत कह तीवार राजा वृत्तांत सुणी मनमांचमके एगाथा छोकरा कहेतें साची तीवार प्रातसमें राजाने मंत्रीमर कोपवंत दौठोज राजा माहरा समस्त कुटबनें घांणी मापीलें तौवारें मंत्री घरे आवौ राजानो कोपनो वृत्तांत सरीयाने जणावी कहें प्रातसमेंहु राजा नौ सभामा जाउ तिवारे तु पाछलथौ आवौ माहरोमस्तक शस्त्रथको छेदजेते कहें पितानो मस्तक किम छेदाए पिता कहें तालवौख भक्षण करस्य
तुझने दोस नही अन्यथा समस्त कुटंब घाणीमा पिलासे' तिवारी वातमानौ प्रातसमें मंत्री राजानी सभा गयो पुठेथको सरीयो आवी पीताने मस्तक 8 शस्त्र प्रहार दोधो मस्तक जुदो थयो तिवार राजा कहें हाहाएस्युं कीधी तिवारेंतें कह राजानी गुनही कीम राखौए तीवारे राजा खिसाणी
थयो मंत्री सरने घणे उच्छव अग्नौदौवरावौ मृतकार्य करावी सरौयाप्रतें राजा कहें तु मंत्रीसरनी मुद्राल्यो तौवारे सरीयो कहे मम वृद्ध भाट स्थूलभद्र वेश्याने घरें बैठोछे राजानो आज्ञा ले सरौयो तेडवा आव्यो अनुक्रमे स्थूलभद्रनें वृषपाशे लाव्यो राय कहे ा मुद्राल्यो स्थूलभटू कहे आलोचौ आवं तिबारे स्थूलभद्र सिरियाप्रतेकहे पिताकि ममरण पाम्योते कहे रायनोसेव कहतो इम सांभलौने वौचायं आकामरूडो नही इम विमासी अशो
राय धनपतसिंह बाहादुर का श्रा० सं० उ. ४१ मा भाग