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प्रथम पुची बोलो इम अनुक्रमे साते कुमारीका बोलो तिवारी राजाने परतीत आवी इम दस वौश दिवस थया राजा तेहने कांइ आपे नहीं मान उभाषा अ०२
भंग थयो तिवार तिणे वररुचि भ? जाण्यु जे शकडाल मन्त्रीने एहवी बुद्धिवंत पुत्त्रो के मन्त्रौना प्रपञ्च जाणी तिण वली कोई प्रपञ्च कम्यो के एक नल ६ वणाव्यो गुप्तपणे तिहां नलने मुखे पांच से दौनारनो थैलौनुको पोते नदीमा स्नान करी जोहां नलनो लाकडी उपरौ बेसी ध्यान स्मरण करे सुमरण
पूरो घाए तिवार पग धको नल दाबे ते थको ते हो मणी उडौमुख आगे पडे ए कौतुक लोग देखी अचरीज पामे इम ए बात न वीराजा सांभली जे 8 वररुचिने नित्य गंगा पंच सत दिनार आप ते कौतुक जोवा राजा आवी कौतुक देखी अचरोज पाम्यो राजा तेहनो मान वधार इम करता बीजे दिवस मन्त्रोसर आवोते कोतुक देखो जाण्यु जे इहां कपट तिवारे राजा मन्त्रीसर वररुचि भट्ट आप आपणे स्थानक गया इमकरता चांदणी पूर्णमानी रात्र छ मन्त्रोसर तोहां आवो प्रपञ्च जो इम करता मन्त्रीसर बुद्धि बली तौहां नल गद्यो हतो ते दौठो अनुक्रमे प्रात समे मन्त्रीसरे प्रच्छन्न पुरुष वे सायो तोहां स्नान वेला वररुची आवो ते नलने विषे स्नान करौ हेम मुकेते गुप्त पुरुष दौठो वररुचि स्नान करौ ध्याने बैठा ते वेला तिहां राजा आवो बैठा पुठे धको मंत्री सर आवो गुप्त पुरुषनें तेडो गुप्त वात नो भेदलही ते पुरुषनें कज्यु जे तिहांथी दिनारले आवो तोहांतेव जन बराबर पत्थर भुको आवज्याइम मंत्री सरने सौखप्रमाणे सेवक कार्य करी आव्यो अनुक्रमे राजा समस्त लोक कौतुक जीवा मिल्या तिवारी वररुचीनो ध्यान पूरोथ यो एतलेक लदाबतां पत्थर मूक्यो हतोते मुख आगे आवो पद्यो हवे वार वार पग संघाते कल दाबे तिहां होय तो आवे इम घणोवे लाथई तिवारी वररुचि खिसाणो मान भंगथयो मंत्री सरे तेहनो प्रपंच राजाने वताव्यो राजा मंत्रीसर उपर घणु राजी थयो सा बास दोधो अनुक्रमिते वररुचि मंत्रोसर नाछिद्र जोवे पण तेह नाछिद्रन पामें इमकरता वररुचि पण्डित मंत्रीसर नीदासि संघात प्रितिबांधी तेहने
राय धनपतसिंह बाहादुर का आ. सं.उ.४१ मा भाग .
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