SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ उभाषा वीचार छ राणी चिन्तातुर दुर्वल शरीर दौसेछे एवातसाभल राजा तुरत महिल पधारा राणी चेलणाने राजा बोलावी पिण बोले नहीं तिवारी राजा थेणिक हाथ गृहो सकोमल वचन बोलावे हे मृगाक्षी है प्रेमप्रिये तुझने कोण दुहवी तिणे करौ चिन्तारूप समुद्रमै पड़ीछे घणे आदरे बोलावी थको बोलौ हाथ जोडो कहे हे महाराज तुम थका कुण दुहवी सके पिण मुझने बोषम डोहलो उपनो छ ते अणपहुते चिन्तातुर घडू छु ते चिन्ता न कहाई तिवारे राजा कहे ते सरवचिन्तानीवारो कही ते प्रमाण चढ़ाविये तिवारी राणी बोली तुमारा काल जानो मांसनो इच्छा उपनी के राजा साभलोहा भणणे राणोनो मनोरथ प्रमाण चढ़ावस्य पिण मन माहि चिन्तव्यो जे काल जी काव्या कोइ जीव नहीं ने राणौने अर्थे नाव तो स्युं जौवी तयअने एहवो मनोरब न पूहचे तो पुरुष पणो तेस्थो कामको एहवो चिन्तवो मनमे धारणा करती सभामाहि आवी वैठो तिवारी एतले अभय कमार आव्या राजाने चित्तातुर देखो अभय कुमार बात पूछो तिवार राजा कहे ताहरो लघु माता चेलणा तेहने माहरेकाल जाने मांस खावानीमनी रथ उपनो के ते पूरातो नयो मृगमास अणावी हृदय उपरि मैली मृगत्व चासो वाडी अने ते छेदी मासना सूला करी राणीने खवाया राजा श्रेणिक मुखे बुंवपाड़े रे माहरा प्राण जाय के जिमर रोव पाड़े तिमर साभलो गर्भ हर्ष पाम्यों पूर्व वैर यो संसार माहे बैर रहवा के अभय कुमार रायने पिण उवारा ने माताना पोण मनोरथ पूराका माताई पिण चिन्तायो एगर्भ पौताने आगलि स्युं सुखदेसी जे गर्भ धको पिताना कालजा सावानी मनसा करो तो भी गर्भ यल जाय तोखरी पाको पिण रधी पाहो नहीं तिवार राणीये गर्भगालवाभचौकईखारखाधा पिणतेहने अमृतधई प्रणम्या उप क्रमौ गरभ गले नहीं नव मास प्रतिपूर्ण हुवा जन्म घयो अशोकचन्द्र नाम दीधी वाडीना महिलमा प्रसूति भणी एजातमात्र उकरडीयेंनांख्या राजा ई खबर करावो तिवार राणो बोलो में तो न खाय दौधो राजा कहे हे प्रोयेए स्थु वात करी पुत्रने अर्थ अनेकउपाय कोज नररूपीयो रत्न किमनाखीये राय धनपतसिंह बाहादुर का आ. सं. उ. ४१ मा भाग
SR No.007381
Book TitleAgam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1879
Total Pages1112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_uttaradhyayan
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy