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उ०भाषा
8 नल लागे तिवारी कोठीने किसो सरणी थावे ते दावा नल थौ किम छूटे इसौ सुणो ब्रह्मदत्त कुमरे कह्य कौडी विलमेपेसे तो छुटे इसे वचने बुदिवली
जाणी मन्त्रौश्वरने पुत्रेकह्यो अहो कुमार आपणपेपुणतो किडौइ जो बिलेपइसौये कुमरे का आपण सरौखो विल किहां जिहां पदसोई तिवारे सरत अपरि घण अंगणी देखायो दहा लातनी प्रहार को इम कह्य ते ब्रह्मदत्तपगनोप्रहार देई सुरंगहार जघाडी हिवे वेजणेसुरंग मार्ग थर् गङ्गातटने उपर आवीवरधनु मन्त्रीखरने भिल्यातिवार पछे मन्चौखरे कर्तुं तुम्हे देशान्तर जावो इहां मतरहिज्यो इसीवचन सांभली तहत्ति करो तैवेजणानौकल्या घण देश भम्या वारे वर्ष लगी घणो धन उपायौँ घणौ स्त्री मिली चतुरङ्ग दल मिल्यो तिहां देशान्तर फिरता ब्राह्मण एक संघात फिरवी साथे थके दुख सख सह्या ते जीवार वीकड़वा लागी तिवारी तेह प्रति ब्रह्मदत्ते का तु ब्रह्मदत्त कापिल्य नगर राजा हुओ सांभली पहिलो प्रावौजे जेहवो मुझ थको अपगार हुस्ये तेहवी करिस्यु बम कह्या अनन्तर ब्राह्मण स्वस्थानकि पहुं तो हिवे ब्रह्मदत्त घणौ कटक सुपरिवस्त्रो कापिल्य पुरनगर आवी दीर्घ राजाने मारी पितानी राज्य लोधी वारे वरसी चक्रवति नो राज्याभिषेक मांद्यो घणां महोच्छव थयु बारमी चक्रवर्ति राज्यपालिवा लागी चपरासी
लाख घोड़ा चौरासी लाख रथ छत्रवे कोड़ पायक नवनिधान चवदे रख चोस सहस्म अंतेजरी एकलाख अट्ठाईस हजार पिंडविलासणी बहुतर ॐ सहस्म महानगरवत्तीस हजार देश वत्तीय सहस्म मुकटबंध राजा वत्तीस लाख वाजिन सोल सहस्र पाटण सोल सहस्र देवता तीन लाख रसोईया 8 नवेकोटि गाम इत्यादिक समृषि गुणे करौ जगमांहि प्रसिद्ध न्याये कष्ट प्रजापालिक संग्राम सूरी एहवी राजाधिराज एक छच पालतो छ खंडमाहि
प्रसिद्ध तिणे ब्राह्मण सांभली अत्यंत हर्ष पामी चक्रवर्त्तिने मिलिवा भणौ कांपित्य पुर आव्यो परं प्रतोली हारपोलीइ चल्यो छतो राजभुवन पासवान 8 लहे तिवारे तिको ब्राह्मण इम चिंतविवा लागी जैह स्यं रात्रिने दिवसे एकठा वे सिवी सूवी चालिवी हुँ'तो तेहनी आज दर्शन पुण दुर्लभ थयु
राय धनपतसिंह बाहादुर का श्रा०सं० उ. ४१ मा भाग