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________________ बेलगाम जिला। [७१ mmm mmm (There are numurous cultivators and labourers indicating the former supremacy of the Jain religion in Bombay Carnatic) बेलगाम गनटियर निल्द २१ (सन् १८८४) से जो विशेष इतिहास प्रगट हुआ है वह इस तरह पर है । इस बेलगाम जिलेमें सबसे प्राचीन स्थान पालासिगे, हालासिगे या हालसी पर है जो खानापुरसे दक्षिण पूर्व १० मील व बेलगामसे दक्षिण २३ मील है । हालसीसे करीब ३ मील पर जो ७ ताम्रपत्र मिले हैं उनसे विदित होता है कि ५वीं शताब्दिके करीब यह नौकादम्ब राजाओंकी राज्यधानी था । प्रायः ये सबही प्राचीन कादम्बोंके ताम्रपत्र प्रारंभ और अंतमें जैन मंगलाचरणको प्रगट करते हैं और सिवाय एक ताम्रपत्रके जो एक साधारण मनुष्यको भूमिदानके सम्बन्धमें है शेष सब ताम्रपत्र जैन धर्मकी वृद्धिके लिये भूमि या ग्रामोंके दानके सम्बन्धमें हैं । पांच ताम्रपत्रोंमें पालासिग या हालसींका नाम है । एक बताता है कि हालसोमें जैम मंदिर बनाया गया । बेलगाममें जिन राहोंने राज्य किया था (सन् ८५० से १२५० तक) वे अपना सम्बन्ध राष्ट्रकूट राजा कृष्ण द्वि० (सन् ८७५ से ९११)से बताते हैं । ये राट्टराजा जन धर्मके माननेवाले थे। इनकी उपाधि थी। लाहनूर पुरवर आधोश्वर अर्थात् लाडनूरके राना जो सब नगरोंमें प्रधान नगर था। राह वंशका कुलवृक्ष इस प्रकार है
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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