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७०] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । १ भागको युद्धकी लूटमें लेलिया । राट्ट राजाओंने गोआको सन् १२०८ में अधिकारमें लिया। राहोंका अंतिम राजा लक्ष्मीदास हि हुआ जिसको देवगिरि यादव सिंघन द्वि०के मंत्री और सेनापति वाचनने परास्त किया फिर १३२०में दिहलीके मुसल्मान बादशाहोंने अधिकार किया।
जैन मंदिरों का महत्त्व-जो यहां जखनाचा के नामसे मंदिर इधरउधर छितरे हुए पाए जाते हैं वे वास्तवमें चालुक्य राजाओंके हैं । उनमेंसे एक बहुत ही सुन्दर देगानवेमें हैं। कोन्नूरमें इतिहासके पहलेके समाधिस्थान हैं। बहुतसे मंदिर ११, १२ व १३ शताब्दीके जो इस जिलेमें फैले पड़े हैं वे असलमें जैन लोगोंके थे किन्तु उनको लिंग या शिव मंदिरोंमें बदल दिया गया है। उन जैन मंदिरोंमें जो बहुत प्रसिद्ध हैं वे नीचे स्थानोंपर हैं।
(१) बेलगामका किला (२) संपगाव ता० के देगानवे, पाक्कुंड, नेसार्गी (३) पारसगढ़ ता० केहुली, मनोली, येळम्मा (४) चीकोड़ी ता० शंखेश्वर (५) अथनी ता० के रामतीर्थ और नांदगांव।
जैनौका महत्व यहां बहुत जैन किसान और मजदूर हैं । जिससे यह विदित होता है कि प्राचीन कालमें इस बम्बई कर्णाटकमें जैन धर्मकी बहुत श्रेष्ठता थी