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________________ ६८] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। (२०) शोलापुर जिला। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तरमें अहमदनगर, पूर्वमें निजाम राज्य, अकलकोट राज्य, दक्षिणमें बीनापुर और मिरज, पश्चिममें औंधराज्य, सतारा, फलटन, पूना, अहमदनगर । यहां स्थान ४५४१ वर्गमील है। यहां सन् ई० से ९० वर्ष पहलेसे लेकर २३० ई. तक शतवाहन या अध्रवंशने राज्य किया। जिनकी राज्यधानी गोदावरीपर पैथनपर थी जो शोलापुर नगरसे उत्तर-पश्चिम १५० मील है । सुसल्मानोंके दखलके पहले यहां क्रमसे चालुक्य, राष्ट्र, पश्चिम चालुक्य व देवगिरि यादवोंने राज्य किया था। यादवोंके समयकी कारीगरी बावी, मोहाल, मालसिरस, नातेपुते, बेलापुर, पंढरपुर, पुलमेन, कुंडलगांव, कासेगांव तथा मारडेके हेमदपंथी मंदिरोंमें पाई जाती है । (१) बेलापुर-पंढरपुरसे २२ मील ग्रामके मध्यमें सारवाड़ा प्राचीन मंदिर चालुक्योंके ढंगका है । यह जैन मंदिर श्री पार्श्वनाथ भगवानका है । द्वारके ऊपर आलेमें एक जैनमूर्ति है। मंडपकी छतमें चार खुदे हुए स्तम्भ हैं। (२) दहीगांव-दिकसाल स्टे० से २२ मील । यहां श्री महावीरस्वामीके मंदिर हैं अनेक प्रतिमाएं है यहां महतीसागर ब्रह्मचारी होगए हैं उनका समाधिमरणका स्थान है । जैन लोग वार्षिक मेला भरते हैं।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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