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खानदेश जिला।
(१६) खानदेश जिला । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है:-उत्तरमें-सतपुरा पर्वत और नर्मदा नदी, पूर्वमें बरार और नीमाड़, दक्षिणमें-सातमाल, चांदोर या अनंटा पहाड़िया, दक्षिण पश्चिम-नासिक जिला । पश्चिममें बड़ौधा और रीवाकांठामें सागवाड़ा राज्य । इसमें स्थान १०० ४ १ वर्गमील है।
इसका इतिहास यह है कि यहां १५० सन् ई०से पूर्वका शिला लेख मिला है-यहां यह दंतकथा प्रसिद्ध है कि सन् ई० से बहुत समय पहले यहां राजपूतोंका वंश राज्य करता था जिनके बड़े अवधसे आए थे। फिर अंधोंने फिर पश्चिमी क्षत्रपोंने राज्य किया। ५वीं शताब्दीमें चालुक्यवंशोंने बल पकड़ा फिर स्थानीय राजा राज्य करने लगे यहां तक कि जब इधर अलाउद्दीन आया था तब असीरगढ़के चौहान राना राज्य करते थे ।
मुख्य प्राचीन जैन चिन्ह___ (१) नंदुरबार नगर व तालुका-तापती नदीपर यह बहुत ही प्राचीन स्थान है । कन्हेरीकी गुफाके तीसरी शताब्दीके शिलालेखमें इसका नाम नंदीगढ़ हैं । इसको नंद गौलीने स्थापित किया था यहां शायद कोई जैन चिन्ह मिले ।
(२) तुरनमाल-तालुका तलोदा । पश्चिम खानदेश सतपुरा पहाड़ियोंकी एक पहाड़ी । यहां एक समय मांडूके राजाओंकी राज्यधानी थी । यह पहाड़ी ३३०० से ४००० फुट ऊंची है १६ वर्गमील स्थान है । पहाड़ीपर झील है और बहुतसे मंदिरोंके अवशेष हैं । इनको लोग गोरखनाथ साधुके मंदिर कहते हैं।