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________________ [५१ अहमदनगर जिला। (२) मध्यविमाग। (१५) अहमदनगर जिला। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है उत्तर पश्चिम और उत्तर नाशिक, उत्तर पूर्व-निजाम राज्य, पूर्व निजाम, दक्षिण पूर्व और दक्षिण पश्चिम-शोलापुर और पूना-इसमें ६५८६ वर्ग मील स्थान है । इतिहास-इस निलेका शासन सन् ५५०से ७५७ तक वादामी जि० (बीजापुर) के पश्चिमीय चालुक्योंके हाथमें था फिर ९७३ तक राष्ट्रकूटोंके हाथमें गया फिर ११५६ तक कल्याणीके पश्चिमीय चालुक्योंने राज्य किया फिर ११८७ तक कलचूरियोंने फिर सन् १३१८ तक देवगिरि यादवोंने शासन किया । पीछे मुस ल्मानोंका राज्य होगया । मुख्य जैन प्राचीन चिह्न । (१) पेड़गांव--श्री गोंडासे दक्षिण ८ मील एक ग्राम है । कर्जातसे उत्तर पश्चिम फिर पश्चिम २० मील तथा अहमदनगरसे दक्षिण ३२ मील है । यह प्राचीन स्थान है। यहां भैरवनाथका मंदिर है जो असलमें जैन मन्दिर था। (२) मिरी तालुका नेवासा-नेवासासे.पूर्व दक्षिण १८ मील यहां एक हेमादपंथी कूप ध्वंश अवस्थामें है । ग्रामसे दक्षिण पश्चिम थोड़ी दूर एक चट्टानमें एक कूआ वना है जो बहुत पुराना है यह जब पानीसे भरा नहीं होता है तब वहांका जागीरदार कहता है कि उसने एक शिलालेख देखा है पासमें जैनमूर्ति है।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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