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काठियावाड (सौराष्ट्रदेश) ।
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नोट- यहां जैनियोंके बाईसवें तीर्थंकर श्री नेमिनाथजीने तप करके मोक्ष प्राप्त की है। श्री कृष्णके पुत्र प्रदुम्नकुमार संबुकुमार आदि ने भी । इसके सिवाय बहुत से और मुनियोंने । इसीलिये भारत के सब जैन लोग बडी भक्तिसे दर्शन पूजा करने आते हैं । दि० जैन शास्त्रोंमें इसका प्रमाण यह है :
मिसामि पण्णो सम्बुकुमारो तहेव अणिरुद्धो । वाहत्तरि कोडीओ उज्जते सत्तसया सिद्धा ॥ ४ ॥ ( प्राकृत निर्वाणकांड ) श्री गिरनार शिषर विख्यात । कोड़ि वहत्तर अरु सौ सात । शंबुप्रद्युम्न कुमर दो भाग । अनुरुद्धादि नमो तमु पाय ॥ ( भगवतीदास कृत )
भाषा
यहां गढ़ गिरनारपर ३६ लेख हैं जो सब प्रायः सं. १२८८ के वस्तुपाल तेजपाल मंत्रियोंके हैं । नेमिनाथजी मंदिर के द्वारके दक्षिण हातेके पश्चिम एक छोटे मंदिरकी भीतपर दि ० जैन लेख है । न० १२ लेखके पश्चिम शब्द हैं ।
" स० १५२२ श्री मूलसंघे श्रीहर्षकीर्ति, श्रीपद्मकीर्ति भुवनकीर्ति...." (२) जूनागढनगर - गिरनार और दातार पहाड़ीके नीचे प्राचीनता और ऐतिहासिक सम्बन्धमें भारतवर्ष में यह अपने समान दूसरे को नहीं रखता । अपरकोट में बढ़िया बौद्धोंकी गुफाएं हैं । तमाम खाई और उसके निकट गुफाओं व उनके ध्वंश भागोंसे व्याप्त है । इसमें सबसे बढ़िया खापराकोड़िया है जो पहले ३ खनका मठ था । देखो
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