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________________ ४६] मुंबईप्रान्तक प्राचीन जैन स्मारक । Dr. Burgess antiquities of Cutch Kathiawar अपर कोटमें दो कूप हैं जिनके लिये प्रसिद्ध है कि प्राचीन कालमें चूड़ासम रानाओंकी दासी कन्याओंने बनवाए थे। "Cave temples of India by fergusson and Burgess 1880." नामकी पुस्तकमें जूनागढ़ गिरनारके सम्बन्धमें लेख है कि नगरकी पूर्व तरफ गुफाएं देखने योग्य हैं खासकर बाबा धाराके मठकी तरफ भीतोंमें । ये गुफाएं बहुत प्राचीन कालकी हैं। मैदानमें एक चौकोर पाषाणके स्तम्भका नीचेका भाग है उसके पास एक छुटा पत्थर मिला था जिसके एक कोनेपर राना क्षत्रपके लेखका एक भाग था यह लेख स्वामी जयदमनके पोते शायद रुद्रसिंहके समयका है जो रुद्रदमनका पुत्र था निसका लेख राजा अशोकके लेखकी चट्टानके पीछे है । इस लेखमें केवलज्ञानी शब्द है जिससे डाक्टर बुहलरका खयाल है कि यह जैन लेख है और यह बहुत संभव है कि ये सब राजकुमार जैन धर्मसे प्रेम रखते थे। (३) सोमनाथ - (देव पाटन, प्रभास पाटन, वेरावल पाटन या पाटन सोमनाथ) काठियावाडके दक्षिण तटपर जूनागढ़ स्टेटमें एक प्राचीन नगर है। दो नगरोंके मध्य आधी दूर जाकर समुद्रकी नोकपर एक बड़ा और प्रसिद्ध शिव मंदिर है । जो पाटनसे करीब १८ मील है । उस विरावल पाटनमें एक जैन मन्दिर जुमा मसनिदके पास बाजार में हैं निसको मुसल्मानोंने अपना घर बना लिया है । इसके गुम्बन और खंभे खुदे हुए हैं। इसकी
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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