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________________ ३ej मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक। (४) पोसीमा सबली-यहां श्री पार्श्वनाथ और नेमिनाथमीके जैन मंदिर हैं जो सफेद पाषाणके २६ फुट ऊंचे व १५०x१४० फुट हैं। (१) तिम्बा-जिला गोदवाड़ा। श्री तारंगा पहाड़ । नोट-यह जैनियोंका माननीय सिद्धक्षेत्र हैं । दिगम्बर जैन शास्त्रोंमें इसका प्रमाण इस तरह दिया है। गाथावरदत्तो य वरंगो सायरदत्तो य तारवरणयरे । आहुट्ठय कोड़ीओ णिव्वाणगया णमो तेसिं ॥ ३ ॥ (प्राकत निर्वाणकांड ) दोहा वरदत्तराय रु इंद मुनिंद, सायरदत्त आदि गुणवृन्द । नगर तारवर मुनि उठ कोड़ि, वंदों भाव सहित करजोड़ि॥४॥ ( भाषा निर्वाणकांड भगवतीदास कृत सं० १७४१ में ) भावार्थ-इस ताइवर क्षेत्रपर वरदत्त राजा, इन्द्र मुनि व सागरदत्त आदि साढ़े तीन कोड़ मुनि मुक्ति पधारे हैं। ___यहां बहुतसे जैन मंदिर हैं । उनमें श्री अजितनाथ और संभवनाथके मंदिर ७०० वर्ष हुए राजा कुमारपालके समयमें रचे हुए कहे जाते हैं । ( फोर्वसकृत रासमाला ) यहां अखंडित खंडित बहुतस्त्री दि० जैन मूर्तियां यत्र तत्र हैं। बहुत जैन यात्री पूजाको भाते हैं। (६) कुम्भरिया-दांतासे उत्तर पूर्व १४ मील । अम्बानीसे दक्षिण पूर्व १ मील । यहां सफेद संगमर्मरका श्री नेमिमायनीका
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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