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________________ महीकांठा एज'सी। [३७ (११) महीकांठा एजंसी। इसकी चौहद्दी इस प्रकार है-उत्तर पूर्व उदयपुर और डूंगरपुर दक्षिण पूर्व रेवाकांठा, दक्षिण-खेड़ा, पश्चिम-बड़ौधा और अहमदावाद । यहां ३१२५ वर्गमील स्थान है। ईडर राज्य-यह सन् ८०० से ९७० तक गहलोटों व १००० से १२०० तक परमार राजपूतोंके आधीन रहा। (१) ईडर नगर-यहां गढ़में कुछ गुफाओंके जैन मंदिर ४०० वर्षके प्राचीन हैं एक भूमिके नीचे संगमर्मरका व एक ऊपर श्री शांतिनाथका है। नोट-यहां पहाड़पर दिगम्बर और श्वेताम्बर जैनियोंके मंदिर दर्शनीय हैं । नगरमें दोनोंके कई मंदिर हैं । दि० मंदिरोंमें बहुत प्राचीन प्रतिमाएं भी हैं तथा जैन शास्त्रभंडार बहुत प्राचीन हैं । यहां दि० जैन भट्टारकोंकी गद्दी है । (२) खंभातराज्य-इसका वर्णन खेड़ा जिलेमें लिखा गया है यह अहमदावादसे ५२ मील है । यहां प्राचीन ध्वंश इमारतें बहुत हैं जो खंभातकी सम्पत्तिको दिखलाते हैं । जुमा मसजिदमेंके स्तंभ जैन मंदिरोंसे लेकर लगाए गए हैं जो बहुत ही शोभा दिखाते हैं। (३) भिलोड़ा-यहां सफेद संगमर्मरका जैन मंदिर श्री चन्द्रप्रभुका है जो ३८ फुट ऊंचा व ७०४४५ फुट है। इसमें ४ खनका मानस्तंभ है जो ७५ फुट ऊंचा है.।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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