SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 57
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६ ] मुंबईप्रान्त के प्राचीन जैन स्मारक । नए मंदिरज़ी में ले गए हैं। इस मंदिरकी एक प्रतिमा पर संवत १६६६ है व नए मंदिरकी प्रतिमा पर सं० १८६८ है । (११) पंचासुर - संकेश्वर से दक्षिण ६ मील | यह गुजरातके सबसे प्राचीन नगरोंमेंसे एक है । ११०० वर्ष हुए यहां के प्रसिद्ध जयशेषर राजाको भुवर राजाके आधीन दक्षिणकी सेनाने घेर लिया था । यहां जमीन के नीचेसे बड़ी २ पुरानी ईंटे निकली हैं । (१२) चन्द्रावती - राहो से उत्तर पूर्व १५ मील । पर्वत आबूके नीचेसे थोड़ी दूर यह संगमर्मरका पुराना सुन्दर नगर था । यहां एक स्थानपर १३६ मूर्तियें बिराजमान हैं | नोट - देखना चाहिये । शायद जैन हों। -- (१३) मोघेरा नगर - छोटी पहाड़ीपर । जैन कथाओं में इसको मोधेरपुर या मुधर्व कपाटन लिखा है । (१४) सोजित्रा-यहां दि० जैन भट्टारकोंकी दो पुरानी गद्दियां हैं । मूलसंघ और काष्टासंघकी । तीन दि०जैन मंदिर हैं। यहां कुछ प्राचीन दि०जैन मूर्तियां खंभातके मंदिरसे लाकर विराजमान की गई हैं। यहां काष्टासंघके मंदिरजीमें प्राचीन जैन शास्त्र भण्डार है । ·
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy