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________________ २४] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । (५) पंचमहाल जिला। इसके दो भाग हैं । पश्चिमीय भागकी चौहद्दी है । उत्तरमें राज्य लूनवाड़ा, संथ व संजीली, पूर्वमें वारिया राज्य, दक्षिणमें बड़ौधा, पश्चिममें बड़ौधा राज्य, पांड महवास और माही नदी । पूवीर्य भागकी चौहद्दी है । उत्तरमें चिलकारी, व कुशलगढ़ राज्य, पूर्वमें पश्चिम मालवा, दक्षिणमें पश्चिम मालवा, पश्चिममें सुन्थ, संजीली, वारिया राज्य । इसमें १६०६ वर्ग मील स्थान है-- यहां पावागढ़ पहाड़ बहुत प्रसिद्ध जैनियोंका तीर्थ है-यहांसे 'ध्यान करके इस कल्पकालमें श्री रामचन्द्रजीके पुत्र लवकुश तथा पांच कोड़ मुनि मोक्ष पधारे हैं । पर्वतपर प्राचीन जैन मंदिर हैं। नीचे भी मंदिर व धर्मशालाएं हैं। इसका आगम प्रमाण यह है--- गाथा रामसुवा वेणि जणा, लाडणरिंदाण पंचकोडीओ। पावागिरिवरसिहरे, णिव्वाणगयो णमो तेसि ॥ ५॥ (निर्वाणकांड प्रारत) दोहा-रामचन्द्रके सुत दैवीर, लाड़नरिंद आदि गुणधीर । पांच कोड़ि मुनि मुक्ति मंझार, पावागिरि वंदों निरधार ॥६॥ (निर्वाणकांड भगवतीदासकृत रचा सं० १७४१ । ) यह गोधरासे दक्षिण २५ मील व बड़ौधासे पूर्व २९ मील है। यह पहाड २६ मीलके घेरेमें है । समुद्र तहसे २५०० फुट ऊंचा
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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