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________________ खंभातराज्य। (४) खंभातराज्य। खेड़ाजिलेके पास खंभातराज्य है--यहां एक जम्मा मसजिद है जिसको सन् १३२५में महम्मदशाह विन तुघलकने बनवाई थी। इसमें ४४ बड़े व ६८ छोटे गुम्बन व बहुतसे खंभे हैं । ये सब खंभे जैन मंदिरोंसे लाए गए हैं। यहां प्रसिद्ध जैन मंदिर हैं। जैसे (१) श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथका दंडरवाड़ामें जो सन् १५३८में बनाया गयाथा । इसमें दो भाग हैं १ जमीनके नीचे, एक ऊपर । (२) श्री आदीश्वर मंदिर निसको तेजपालने सन् १६०५में बनाया था । (३) श्री नेमिनाथ मंदिर नगरसे ३ मील पर येरलापाड़ामें । यह एक प्राचीन नगर है । भीमदेव द्वि० के राज्यमें (सन् १२४१) वस्तुपाल जो प्रसिद्ध जैन मंत्री भीमदेवके अधिकारी लवणप्रसाद और उसके पुत्र रानावीर धवलका था कुछ दिन खंभातका गवर्नर था उसने यहां जैनियोंके मंदिर पुस्तक भंडारादि बहुत बनाए। यह बात उसके मित्र पुरोहित सोनेश्वरने कीर्तिकौमदीमें लिखी है तथा जैन भंडारोंमें जो १३ वीं शताब्दीके प्रथम अर्द्धकालका पुरानासे पुराना लिखित ग्रंथ मिलता है उससे सिद्ध है । इन मंदिरोंमेंसे कुछोंको सन् १३०८ में तोड़कर जामा मसजिद बनाई गई थी।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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