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१२ मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक।
कपडवंज-कैरासे उत्तर पूर्व ३६ मील यह बहुत प्राचीन स्थान है। वर्तमान नगरमें ५०० से ८०० वर्ष पुरानी इमारतें हैं। कोटकी भीतके पास एक बहुत ही प्राचीन नगरका स्थान है। इसका असली नाम कपटपुर था । यहां एक सुन्दर जैन मंदिर है इसमें १॥ लाखकी लागत लगी है।
मतार-तालुका मतार । कैरासे दक्षिण पश्चिम ४ मील । यहां एक सुन्दर जैन मंदिर है जो ४ लाखसे सन् १७९७ में बनाया गया था।
महुधा-नडियादमें एक नगर । इसको २००० वर्ष हुए एक हिन्दू राजकुमार मानधाताने वसाया था ।
मेहपदावाद-स्टेशन अहमदावादसे दक्षिण १८ मील । सन् १६३८ में एक छोटा नगर था । इसके निवासी हिन्दू सूत कातनेवाले व बड़े व्यापारी थे । १६६६ में यह गुजरात व निकटके स्थानोंको बहुतसा सूत भेजता था ।
नडियाद-यह १६३६में बहुत बड़ा नगर था । बहुतसा रुईका कपड़ा बनता था। सन् १७७५ में यहांके लोग महीन कपड़ा बनाते और पहनते थे । यहां भी जैनमंदिर है।
___ उमरेठ-तालुका आनन्द । आनन्दसे उत्तर पूर्व १४ मील नगरके पास एक बावड़ी ५०० वर्षकी प्राचीन है जिसमें ५ खन व १०९ सीढ़िया हैं । इसको अनहिलवाड़ाके राजा सिद्धराजने बनवाई थी।