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________________ खेड़ा जिला । (३) खेड़ा जिला । इसकी चौहद्दी इस प्रकार है । उत्तरमें अहमदावाद, महीकांठा । पश्चिममें अहमदावाद, खंभात । दक्षिण पूर्व में नदी माही और बड़ौधा । यहां १५७५ वर्गमील स्थान है । खेडा - अहमदाबाद से दक्षिण २० मील यह बहुत ही प्राचीन नगर है । यह प्रसिद्ध है कि इसका नाम चक्रवती नगरी था। इसके राजा मोरध जको पांडवोंने हरा दिया था। कैरासे २ मील सुखड़ और रतनपुर इस प्राचीन नगरके भाग हैं। यहां सन् १८३२ में मोरियां खोदी गई थीं तब बहुतसे सिक्के व बहुतसी संगमर्मर की मूर्तियें पाई गई थीं । [ ११. Brigg's cities of Gujarashtra 195-196. इन सिक्कों में कैराका नाम खेहरा ९वीं शताब्दी में प्रसिद्ध था । देखो सिक्का Cunn ancient Geography India I 316. The ins. inJ Re A. S. n. S. I, 270-277. १८३२ से १०० वर्ष पहले यह एक बड़ा नगर था । यही राजा शिलादित्य वल्लभीके विजयिताका जन्मस्थान था ( रासमाला नं १७–२०-२४ ) वल्लभीके कई राजाओंके नाम शिलादित्य थे । जिनकी मिती सन् ४२१ से ६२७ तक है । यह कैरा जिला अनहिलवाड राज्यमें शामिल था । १४ वीं शताब्दी में मुसल्मान राजाओंने अधिकार किया । यहांकी कोर्टसे थोड़ी दूर एक जैन मंदिर है जिसमें बहुत सुन्दर काली लकड़ीपर चित्रकारी खुदी हुई है ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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