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________________ कोल्हापुर राज्य। [ १५१ (२८) कोल्हापुर राज्य । इसके मुख्यस्थान नीचे प्रकार हैं(१) अटला-ग्राम, कोल्हापुर शहरसे उत्तरपूर्व १२ मील, वरण नदीसे दक्षिण छ मील । यहां रामलिंगका जो गुफा मंदिर है वह वास्तवमें बौद्ध या जैनका होगा। अब वहां ब्राह्मण पूजा होती है। (२) कोल्हापुर शहर-यह बहुत प्राचीन स्थान है । यहां पासमें सन् १८८० के लगभग एक बड़े स्तूपके भीतर एक प्राचीन पिटारा मिला था जिसमें सन् ई० की तीसरी शताब्दीके राजा अशोकके समयके अक्षर हैं। यहां अम्बाबाई मंदिर, नवग्रह मंदिर, सेशासायी मंदिर जो आजकल हैं वे जैन मंदिरोंके भाग हैं । इनके पाषाण नगरके दूसरे स्थानोंसे लाए गए हैं उनमें खुदाई बहुत अच्छी है । नगारखाना-इसमें जैन मंदिरोंसे लाए हुए खुदाईके पाषाण हैं। जैन वस्ती-हेमदपंती ढंगका एक प्राचीन जैन मंदिर यह यह ७३ फुटसे ५३ फुट है। मंदिरजीके पास दो शिलाहार लेखके पाषाण शाका १०५८ और १०६५ के हैं । (३) पावल गुफाएं-जोतिबाकी पहाड़ीके पास कोल्हापुरसे ५ मील । यहां एक बड़ी गुफा ३४ फुट चौकोर है जिसमें १४ खम्भे हैं । अलटाके पास पूर्वकी तरफ एक प्राचीन जैन कालिज (old jain college) है जिसपर ब्राह्मणोंने अधिकार कर लिया है। (४) रायबाग-कोल्हापुरसे दक्षिण पूर्व ५० मील, चिकोड़ीसे उत्तर पूर्व १४ मील । कहा जाता है कि यह जैन राजाओंकी राज्यधानी ग्यारहवीं शदीमें थी। वैसे ही बेरूद खेलना, शंखे
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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