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१५२ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । श्वरमें भी थी। यहां जैनमन्दिर सबसे पुराना मकान है । यह काले पाषाणका है, ७६ फुट लम्बा ३० फुट चौड़ा, इसमें बहुत बडे खम्भे हैं । दो पाषाणोंपर लेख शाका ११२४ के हैं।
(५) खेद्रापुर-या कृष्ण । कोल्हापुरसे पूर्व ३० मील और कुरुन्दवाड़से पूर्व ७ मील । ग्राममें एक छोटासा जैन मंदिर है ।
(६) बिड या बेरद-पंच गंगा नदीपर। कोल्हापुरसे दक्षिण पश्चिम ९ मील । यह एक राजाकी राज्यधानी थी जो कोल्हापुर
और पनालाका स्वामी था । प्राचीन ध्वंश बहुत हैं। सुवर्णकी पुरानी मोहरें मिलती है। एक प्राचीन पाषाणका मंदिर सन् १२००के करीबका है।
( नोट-वहां जैन चिन्होंको ढून्ढना चाहिये )।
(७) हेरले-कोल्हापुरसे उत्तरपूर्व ७ मील । मीरजकी सड़क पर यहां एक शिलाहार राजाका शिलालेख पुरानी कनडीमें शाका १०४ ०का है जिसमें एक जैन मंदिरको दान देनेकी बात है ।
(८) सावगांव-कागलसे पूर्व ३ मील । यहां एक जैन मंदिरमें श्री पार्श्वनाथजीकी मूर्तिका आसन है।
(९) बमनी-सिदमोर्लीके पास, कागलसे दक्षिण पश्चिम ४ मील । यहां एक जैन मंदिरमें शाका १०७३ का शिलालेख है ।
(१०) करवीर-कोल्हापुरके राज्यकी प्राचीन राज्यधानी ।
(११) बदगांव-कोल्हापुरसे उत्तर १० मील एक नगर । यहां एक जैन मंदिर है जिसको आदप्पा भगसेठीने १६९६ में ४००००) खर्चकर बनवाया था।.
(१२) कुंडल-सर्दन मरहटा रेलवेके कुंडल स्टेशनसे २