SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 170
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिंध प्रांत। [१४६ थार और पार्कर जिला-उत्तरमें खैरपुर, पूर्वमें-जैसलमेर राज्य, मतानी, जोधपुर, कच्छखाड़ी; दक्षिण कच्छखाड़ी; पश्चिम हैदराबाद। (२) गोरी-इस जिलेके पार्कर भागमें कई प्राचीन मंदिर दिखलाई पड़ते हैं उनमें एक जैन मंदिर विरावहसे १४ मील उत्तर है । इस जैन मंदिरमें एक बड़ी पवित्र और प्रसिद्ध मूर्ति है जिसका नाम गोरी प्रसिद्ध है। यह जैन मंदिर १२५ फुटसे ५० फुट है। संगमर्नरका बना है । यह कहा जाता है कि ५०० वर्ष हुए एक मंगा ओसवाल पारीनगरका पाटन माल खरीदने गया था । उसको स्वप्न हुआ कि एक मुसल्मानके घरमें १ मूर्ति है । वह उसे पारीनगर ले आया। गाड़ीपर रख ली थी । जहां गाड़ी ठहर गई आगे न चली, वहीं उसको स्वप्न हुआ कि बहुत धन व संगमर्मर जड़ा है । उसने निकालकर संवत् १४३२में गौरीके नामसे इस मंदिरको बनवाया। इसमें बड़ी बढ़िया खुदाई है । सन् १८३५में मूर्ति गायव होगई। मंदिरमें शिला लेख सन् १७१५ का है, जब जीर्णोद्धार हुआ था। इसी जैन मंदिरके पास पारीनगर नामके पुराने नगरके ध्वंशस्थान हैं जो ६ वर्गमील तक स्थानमें हैं। जिसमें बहुत संगमर्मरके स्तम्भ फैले पड़े हैं। . यह नगर किसी समय बहुत धनशाली और जनसंख्यासे पूर्ण था। इसका ध्वंश १६ वीं शताब्दीमें हुआ था । अभी भी यहां पांच या छः पुराने मंदिरोंके ध्वंश मोजूद हैं जिनमें बहुत ही बढ़िया शिल्प व खुदाई है । ( नोट-किसी जैनीको यहां जाकर देखना चाहिये )-दूसरा ध्वंश नगर यहां रतकोट है। जो रानाहू
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy