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________________ १४८] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । (२७) सिंध प्रात। उत्तर-बलूचिस्तान, बहावलपुर। पूर्व-राजपूताना राज्य जैसलमेर और जोधपुर । दक्षिण-कच्छखाडी अरब समुद्र । पश्चिम-जामकोलात, बलूचिस्तान । यहां ५३११६ वर्गमील स्थान है। इतिहास-मौर्य राज्यके पीछे यूनानियोंने पाबपर सन् ई० से २०० पूर्व हमला किया । अपोलोदातस व मेनन्दर यूनानियोंने सन् ई० के १०० वर्ष पूर्व तक सिंधुमें राज्य किया । फिर मध्यएसियासे बहुतसे हमले हुए । सफेद हन लोग यहां बस गए और रायवंशको स्थापित किया । अलोर और ब्राह्मणाबादमें दक्षिणमें बौद्धोंका जोर रहा। पुरातत्व-इन्दस नदीकी खाडीमें बहुतसे ध्वंश नगरोंके स्थान हैं जैसे लाहोरी, काकरबुकेरा, समुई, फतहबाग, कोटवांभन, जुन, थरी, बदिनतूर, थर और पारकर जिलेमें विरावह ग्रामके पास पारीनगर नामके एक बड़े महत्वशाली नगरके ध्वंश स्थान हैं । इस नगरको कहा जाता है कि सन् ४५६में बालमीरके जसोपरमारने स्थापित किया था। जिसको मुसल्मानोंने ध्वंश किया ऐसा माना जाता है। इन्हीं ध्वंश स्थानोंमें बहुतसे जैन मंदिरोंके खंड हैं। मुख्यस्थान। (१) भाम्बोर-( करांची जिला ) यह प्राचीन नगर है । प्राचीन नाम देवल है व मंसावर है। यहां जो सिक्के व ध्वंश मिले हैं उनसे प्रगट है कि यह पहले बहुत महत्वका स्थान था।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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