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________________ १४६ ] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । महिकावती है-यहां पाले पहाड़ीपर बौद्ध गुफा है । (५) पाले-महाड़से २ मील ग्राम । होलिमी (१४ वें) ने इसे वाल पाटना लिखा है तथा शिलाहर वंशके १४वें राजा अनन्तदेव (सन् १०९४ ) के ताम्रपत्रमें इसका नाम बलिपट्टन है, बौद्धगुफाएं हैं। (६) कोल गुफाएं-महाड़से दक्षिणपूर्व १ मील । यहां भी समूह बौहोंकी गुफाओंका है। (७) रायगढ़-राज्यकिला-प्राचीन नाम रायरी महाड़से उत्तर १६ मील । यह १ पहाड़ी २२५० फुट ऊंची है । शिवाजीकी राज्यधानी थी। बांडीसे चढ़नेमें तीन घंटे लगते हैं। (८) रामधरण पर्वत-अलीबागमें-अलीबागसे उत्तरपूर्व ५ मील । कार्ले पाससे उत्तर । यह पुरानी चट्टान है । गुफाएं १२ खुदी हैं, पता नहीं चलता है, किस धर्मकी हैं। ( नोट-यहां जैनियोंको खोजना चाहिये ) कार्ले पाससे पश्चिम मुखसे पश्चिमकी तरफसे जानेका मार्ग है।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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