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कोलाबा जिला |
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मांस नहीं लेते थे, तथा इन लोगों में बहुत आश्चर्यकारक नियम हैं। कंबे (खंभात) में इन्होंने लंगडे कुत्ते व बिल्लियोंके लिये व चिड़ियोंके लिये अस्पताल बनादिये थे ये लोग चींटियों तक को भोजन देते थे ।
फ्रेंच यात्री फैब्कन पैरर्ड (१६०१ - १६०८) ने यहांका हाल देखकर लिखा है ( Bruce's Annal I 125 ) कि यहां बुननेका बहुत बड़ा शिल्प है, बहुत सुन्दर रुईके सूत मिलते हैं । चीनके रेशमसे भी बढ़िया रेशमका सामान बनता है । गोवामें यहांका माल बहुत खपता है । उत्तर पूर्वको बौद्ध गुफाएं हैं ।
(२) गोरेगांव - मनगांव तटमें बन्दर - दासगांवके उत्तर पश्चिम ६ मील बौद्ध गुफाएं हैं ।
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(३) कुड़ा गुफाएं - मानगांवके उत्तर-पश्चिम १३ मील कुड़ा ग्राम है। राजपुरी तटसे उत्तरपूर्व २ मील । यहां बौद्धोंकी २६ गुफाएं हैं। छठी गुफामें ५ लेख ५वीं या ६ठी शताब्दीके हैं शेष गुफाएं पहली शताब्दी की हैं । सबसे पुरानी गुफामें लेख यह है । एक गुफा बनानेका दान किया सिवमाने जो लेखक शिवभूतका छोटा भाई था जो सुलाशदत्तके पुत्रोंमें थे उसकी स्त्री उत्तरदत्ता थी । ये महाभोज मान्दव खंडपलीता के सेवक हैं जो महा भोज सदागिरि विजयका पुत्र है । चट्टानपर खुदाई कराई शिवमाकी स्त्री विजयाने और उसके पुत्र सुलासदत, शिवपालिता, शिवदत्त, सपिलने, खभे बनवाए उसकी कन्याओंने सपा, शिवपलिता, शिवदत्ता और सुलासदत्ताने । "
(४) महाड - सावित्री नदीके दाहने तटपर, बांकट से पूर्व ३४ मील | यह दासगांव से ८ मील एक बंदर है । प्राचीन नाम