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________________ २२] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । चालुक्य राजाओंका मुख्य नगर रहा है। प्राचीन शिलालेखमें इस नगरका नाम "आर्यपुर" या आय्यवले मिलता है । सातवीं व आठमी शताब्दीमें यह पश्चिमी चालुक्योंकी राज्यधानी थी। . यहां एक जैन गुफा है जिसकी कोई फिक्र नहीं लेता है ( uncared for ) मेधुती दि० जैन मंदिरमें जो शिलालेख है उससे विदित है कि यह मंदिर सन् ई० ६३४में किसी रविकीतिने चालुक्य राजा पुलकेशी द्वि०के राज्यमें बनवाया था । मंदिर उत्तरकी तरफ है। जो यहां वीरुपक्षका मंदिर दक्षिण मुख है निसमें लिंग स्थापित है यह मूलमें जैन मंदिर होगा। इस मंदिरके सामने प्राचीन जैन मंदिर है । चरन्ती मठमें जैन मंदिर हैं मेघुती मंदिरमें एक विशाल जैन मूर्ति है-यह मंदिर सबसे प्राचीन मंदिर है ( It is earliest dated temple. ) जैन गुफाके ऊपर बहुतसे कमरे ध्यानके हैं-(वीजापुर गजटियर)। ___ मेघुती दि० जैन मंदिरका प्रसिद्ध लेख । “ Indian antiquary Vol. V 1896 Page 67." में इस लेखकी नकल दी हुई है सो उल्था सहित नीचे प्रमाण है इस पाषाणकी ५९॥ इंच चौडाई व २६ इंच ऊंचाई है यह चालुक्य वंशका लेख है। इन दक्षिणी भागोंमें यह लेख सबसे पुराना व सबसे अधिक महत्वका है। (Oldest one and most important of all the stone tablest' of these parts.
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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