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________________ ८८] मुंबईप्रान्तके प्राचीन जैन स्मारक । (२२) वीजापुर जिला इस जिलेकी चौहद्दी इस प्रकार है उत्तर-भीमा नदी, शोलापुर, अकलकोट । पूर्व और दक्षिण पूर्व-निजाम राज्य । दक्षिण-मलप्रभा नदी तटपर धाड़वाड़ और रामदुर्ग है । पश्चिम--मुधाल, जामखंडी और जथ राज्य । इस जिलेका प्राचीन नाम-कलादगी जिला है । सन् १८४५में इसका नाम वीजापुर पड़ा है। इतिहा-प्राचीन कथामें दंडकारण या दंडकवनके सम्बन्धमें इस जिलेके सात स्थानोंका वर्णन आया है-एवल्ली हंगुडमें, बदामी, बागलकोट, धूलखेड़ इंडीमें, गलगली वागलकोटमें, हिप्पर्गी, सिंदगीमें व महाकूट बदामीमें । दूसरी शताब्दीमें यहां तीन स्थान बहुत प्रसिद्ध थे जिनका वर्णन Ptolemy टोलमीकी सूचीमें है । (१) बदामी (२) इंडी (३) कलकेरी । जहांतक ज्ञात है बादामी इन सबमें प्राचीन जगह है। यहां पल्लव वंशका किला है । छठी शताब्दीके मव्यमें चालुक्य वंशीय राजा पुलकेशी ने पल्लवोंसे वादामी ले लिया। यहांसे मुसल्मानोंके आनेतक इतिहासके चार भाग हैं-पूर्वीय चालुक्योंने और पश्चिमीय चालुक्योंने ७६० सन् ई० तक, राष्ट्रकूटोंने ७६ ० से ९७३ तक फिर कलचूरी और होसाल वल्लालने ११९० तक जिसमें सिंदा राजा दक्षिण बीनापुरमें ११२० से ११८० तक रहे-देवगिरि यादवोंने ११९० से तेरहवीं शताब्दी मुसल्मानोंके आनेतक राज्य किया ।
SR No.007291
Book TitleMumbai Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShitalprasad
PublisherManikchand Panachand Johari
Publication Year1925
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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