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वीजापुर जिला।
[ ८६ सातवीं शताब्दीमें चीन- यात्री हुइनसांगने वादामीका दर्शन किया था तब यह चालुक्य वंशका स्थान था। वह वर्णन करता है कि “यहांके लोग लम्बे कदके, मानी, सादे, ईमानदार, कृतज्ञ, वीर और बहुत ही साहसी हैं । राजाको अपनी सेनाका अभिमान है, राज्यधानीमें बहुत मंदिर व मठ हैं, पुराने टीले व राजा अशोकके समयके स्तूप हैं । यहां हर प्रकारके साधु मिलते हैं । लोगोंको शिक्षाका बहुत प्रेम है और वे सत्य और धर्मके अनुसार चलते हैं । चहुंओर १२०० मठ इस राज्यमें हैं।"
यहां बहुत प्राचीन शिल्पकला है व प्रसिद्ध शिलालेख अरसीबीडी, ऐवल्ली, और बादमी में हैं ( ६ से १६ वीं शताब्दी तकके ) व बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर ऐक्लो और पत्तदकलमें हैं। ऐवल्लीका मेघुती - मंदिर सादे पत्थरके कामके लिये प्रसिद्ध है। पत्तदकलके मंदिर द्राविड़ और उत्तरी चालुक्य ढंगके हैं । हुंगुड तालुकामें संगमपर संगेश्वरका मंदिर बहुत पुराना है ।
प्रसिद्ध स्थान। (१) ऐल्ली (ऐहोली)--प्राचीन ग्राम--ता० हुंडगुंड मलप्रभा नदीपर बसा है । हुनगुन्डसे दक्षिण पश्चिम १३ मील है । हम यहां ता० ३ जून १९२३को स्वयं गए थे। यह किसी समय बड़ा भारी नगर होगा क्योंकि पाषाणके मंदिर व मकान चारों तरफ टूटे फूटे पडे हैं जैनियोंके भी बहुतसे मंदिर हैं । कुछोंमें महादेवकी स्थापना है । एक छोटीसी पहाड़ी है उसके ऊपर जाते हुए मार्गमें मैदानमें एक दि० जैन मूर्ति खडित पड़ी है। ८० सीढ़ी ऊपर जाकर द्वारपर द्वारपालकी मूर्ति खड़ी है जिसकी ऊंचाई ६ हाथ