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________________ कलिङ्ग देश का इतिहास इस पर्वत श्रेणी में सब मिलाकर ७५२ गुफाएँ थीं जिन में से कई तो टूट फूट कर नष्ट हो गई। पर इस समय भी अनेक छोटी छोटी गुफाएँ विद्यमान हैं । इनमें जैन साधु तथा बौद्ध भिक्षु निवास किया करते थे। इसे से इस बात का पता लगता है कि प्राचीन समय में कई मुनि पहाड़ों की कन्दराओं में निवास करते थे। तथा वे एकान्त स्थान में निस्तब्धता के साम्राज्य में अपना आत्महित साधन करने में तत्पर रहते थे। - बाबू मनमोहन गङ्गोली बंगाल निवासीने इन गुफाओं की पूरी तरह से खोजना करी तथा इस अनुसंधान का वर्णन एक पुस्तक में लिखा है जो बंगला भाषा में छपकर प्रकाशित हो चुका है । इस पुस्तक में एक स्थान पर लिखा है कि इन गुफाओं का निर्माण ई. स. के पूर्व की तीसरी और चौथी सदी में हुआ है। कई गुफाओं तो इस से भी पहले बनी मालूम होती हैं । कई कई गुफ़ाओं दुमजली हैं। इन में से कई तो नष्ट हो गई हैं तथापि भारत की प्राचीन शिल्पविद्या का प्रदर्शन कराने में समर्थ हैं। गुफ़ाओं की दिवारों पर चौवीसों तीर्थंकरों की मूर्तियाँ खुदी हुई हैं तथा उनके नीचे उनके चिह्न भी खुदे हुए हैं। . हस्तिगुफा में महाराजा खारवेल का शिलालेख खुदा हुआ है। मांचीपुर गुफा में श्री पार्श्वनाथ स्वामी का सम्पूर्णजीवन चारित्र खुदा हुआ है । गणेशगुफा में भी खोज करने पर पार्श्वनाथ स्वामी का कुछ कछ जीवन वृतान्त खुदा हुआ मिला है।
SR No.007289
Book TitlePrachin Jain Itihas Sangraha Part 03 Kaling Desh ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Maharaj
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpamala
Publication Year1935
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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