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________________ हिदायत बुतपरस्तिये जैन. शब्दसे (१४००० ) प्रकीर्णकशास्त्र मंजुर रखना लिखा है, अगर तीससूत्रका मूलपाठही मंजुर रखा जाय तो बतलाइये ! महावीरस्वामी सताईसभव किस सूत्रके मूलपाठमें लिखे है ? महावीर स्वामी शाथ गौतमस्वामीका धर्मचर्चा के बारेमे वाद हुवा कहाँ लिखा है ? ब्रह्मदत्तचक्रवर्तीकी कथा, ढंढणरिषिका अधिकार, अरिहंतो के बारांगुण, आठ दिनके पर्युषण, तीर्थंकर महावीरस्वामी की जम्मराशिपर भस्मगृह आया, चंद्रगुप्तराजाने सोलहस्वम देखे और सीमंधरस्वामीवगेरा वीशव हेरमानका अधिकार ये बातें बत्तीससूत्रके मूलपाठमें किसजगह लिखी है कोई बतलावे. अब पीतांवरीके बारेमें जवाब सुनिये ! जैनागम निशीथसूत्रमें लिखा है कि- जैनमुनिकों अगर नयाकपडा मीले तो तीन पसली जितना रंग देना, पीले कपडे पहननेवालेकों कोई पीतांबरी कहे तो इससे क्या हुवा ? पीले कपडे पहनना जैनमुनिकों खिलाफ जैनशास्त्रके नही, अलबते ! जैनमुनिकों मुखपर मुखवस्त्रिका बांधना किसी जैनशास्त्रमें नही लिखा- अगर लिखा है, तो कोई पाठ बतलावे, अगर कोई इससवालकों पेश करे कि मूर्तिपूजा अछी चीज है, तो जैनमुनि खुद क्यों नहीं करते, जवाबमे मालुम हो वंदन नमनस्तवनरूप भावपूजा जैनमुनि भी करते है, पेस्तर लिखचुकाहुं कि- गणधर गौतमस्वामी - तीर्थ अष्टापदकी जियारतकों गयेथे, साबीत हुवा वंदन नमनरूप भावपूजा जैनमुनि भी करते है. आगे मुनि कुंदनमलजी अपने विवेचनपत्रमें बयान करते हैं कि उक्त किताब में कितनेक जैनके असली सिद्धांतोके मूलपाठ दाखल किये है, वह सर्व पाठ अधुरे दाखल किये है, संपूर्ण पाठ शांतिविजयजीने दाखल नही किये है, सौचो ! अधुरी बात अकलमंद हुशियार आदमी कोई वजहसे अंगीकार नही करते है. ( जवाब . ) अगर शांतिविजयजीने अधुरे पाठ दाखल कियेथे
SR No.007284
Book TitleHidayat Butparastiye Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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