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________________ हिदायत बुतपरस्तिये जैन. २३ कबसे चला ? ऊत्तराध्ययनसूत्रमें जैनमुनिकों तीसरे प्रहर गौचरी जाना कहा, आजकल पहले दुसरे प्रहरमें जानेका रवाज चलता है. यह रवाजभी कबसे जारी हुवा ? पहलेके जमानेमें जैनमुनि लुखासुका आहार लेते थे, अगर कोई पंचमहाव्रतधारी उत्कृष्ट संयमी पूर्ण क्रियापात्र बनना चाहे तो उद्यान या वनखंडमें रहे. और लुखासुका आहार लेवे, पहले जमाने में कई जैनमुनि ऐसे थे जो राग होते हुवे भी औषध नही करवाते थे, अगर कहा जाय कि द्रव्यक्षेत्र कालभाव देखकर ऐसा बर्ताव करना पडता है तो इसी बातपर खयाल किजिये, महत्वता किस बातकी करना. जैसा द्रव्य क्षेत्रकालभाव है और जैसा सत्व संहनन और योग्यता है, मुताबिक उसके बर्ताव किया जाता है ऐसा कहना चाहिये. [बसीससूत्र के नाम यहां बतलाये जाते है जोकि स्थानकवासी मजहब में मंजुर रखे गये है. ] १ आचारांग. २ सूत्रकृतांग. ३ स्थानांग. ४ समवायांग. ५ भगवती सूत्र. ६ ज्ञातासूत्र. ७ ऊपाशक दशांगसूत्र. ८ अंतकृत सूत्र. ९ अनुत्तरोववाइसूत्र १० प्रश्नव्याकरणसूत्र. ११ विपाकसूत्र. १२ ऊवाइसूत्र. १७ सूर्यप्रज्ञप्तिसूत्र. १८ जंबूद्वीप प्रज्ञप्तिसूत्र. १९ निर्यावली सूत्र. २० कल्पावर्तसिकासूत्र. २१ पुष्पिकासूत्र. २२ पुष्पचुलिका सूत्र. २३ वन्हीदशांगसूत्र. २४ ऊत्तराध्ययन सूत्र. २५ दशवैकालिकसूत्र. २६ नंदी सूत्र. २७ अनुयोगद्वारसूत्र. २८ निशीथसूत्र.
SR No.007284
Book TitleHidayat Butparastiye Jain
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantivijay
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages32
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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