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हिदायत बुतपरस्तिये जैन.
स्वासोत्स्वास लेतेवख्त खांसी, आतेवख्त छींक, लेते वख्त ऊबासी, लेतेवख्त और डकार लेतेवख्त जैनमुनि अपने मुखकों अपने हाथ से ढांके. खयाल किजिये ! अगर मुहपत्ति मुखपर बांधनेका हुकम होता तो मुखको हाथसे ढांकनां क्यौं फरमाते ? इसका कोई जवाब देवे.
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अगर कोई तेहरीर करे कि जैनमुनिकों पीले कपडे रखना किस जैनशास्त्रमें कहा है, जवाब में मालुम हो निशीथसूत्र के अठारहमें ऊदेशेमें लिखा है कि जैनमुनि नये कपडेकों तीनपसली जितना रंगदेवे, जिनकों शकहो वे महाशय ऊसशास्त्रकों देखे, और अपना शक रफाकरे, बत्तीससूत्र में नंदीसूत्र सामील है, उसमें निशीथसूत्र मंजुर रखना फरमाया, इसलिये जैनमुनिकों कपडे रंगनेकी बातकों कौन जैन ईनकार करसकता है ?
अगर कोई इस दलीलकों पेश करे कि रात्रीकों पानी रखना जैनमुनिको मुनासिब है ? जवाबमें मालुम हो. बेशक ! मुनासिब है, क्योंकि रात्रीके वख्त फर्ज करो! किसी जैनमुनिकों मलोत्सर्ग करनेकी हाजत हुई तो बतलाइये ! ऊस वख्त अशूचि दुर करने के लिये पानी की जरुरत होगी या नही ? इसलिये चुना डालकर जैनमुनि रात्रीकों पानी रखे तो कोई हर्ज नही.
अगर कोई बयान करे कि जैनमुनिकों रात्रीके वख्त विहार करना किस जैनशास्त्रमें लिखा है ? जवाब में मालुम हो, रात्रीके वख्त विहार करना जैनमुनिकों मना है, मगर कोई कारण बनजाय तो नियुक्तिशास्त्रमें कहा भी है, रात्रीकों जैनमुनि विहार करे, ऊत्तराध्यनसूत्रमें बयान है कि एक चंडरुद्रनामके जैनाचार्य और उनके शिष्य कारणसे रात्रीको विहार करगये थे. पहले जमाने में जैनमुनि बनखंड में बागबगिचेमें या उद्यानमें रहते थे. आजकल गांवमें और फिर अछे अछे मकानमें रहते हैं, कहिये ! यह रबाज