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(८) सम्वत् १९०६ वैसाख प्रथम सुदी ६ को एक परवाना महाराणाधिराज श्री सरुपसिंहजीने भण्डारी जवानजी वगैरह के नाम (१८) अट्ठारह कलमें मुकर्र कर लिखा दिया जिस की छठ्ठी कलम में बयान है कि
" सेठ जोरावरमलजी सेठ हुक्मीचन्दजी विगेरे पंचों का भला आदमी की सलाह मुजब काम करज्यो " इस से भी श्वेताम्बरीयों का पूरा हक्क पाया जाता है ।
( ९ ) सम्वत् १९०६ वैसाख विद ९ शनिवार को दीवान साहब श्री महेताजी शेरसिंहजीने भण्डारी सेवकों के नाम लिखा है उस से भी श्वेताम्बर समाज का हक पाया जाता है ।
(१०) सम्वत् १९०७ भाद्रवा सुदी ९ को दीवान साहब श्री शेरसिंहजीने भण्डारीयों के नाम लिखा जिस में लिखा है कि---
" थाने महाराणा श्री सरुपसींघजी कलमबंधी को परवानो कर दीदो है जीं माफक ठा सुं सेठ हकमीचन्दजी माणकचन्दजी बठे वे है सो बन्दोबस्त करे वीं मुवाफिक कराय दीजो। "
(११) सम्वत् १८८६ मंगसर विद १४ के परवाने की पूरी नकल पहले लिख चुके हैं ।
इस के सिवाय भंडारी - पूजारीयों के नाम व भण्डारी