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( ५५ ) ७ एकतालीस रुपयों में ८ इक्कावन रुपये चार आने में एकसौ एक रुपयों में १० एकसौ सवा नौ रुपयों में
इस तरह आचार्यों की बनाई हुई पूजायें पढाई जाती है और पढानेवाले गान्धर्व तमाम विधि करते हैं या बता देते हैं सो इस प्रकार लागत देने से हो सकती है। १ स्नात्रपूजा दस आने में २ पंचकल्याणक पूजा एक रुपया तेरह आने में ३ अष्टप्रकारी दो रुपया पन्द्रह आने में ४ नवपद पूजा तीन रुपया साढेबारह आने में ५ निन्यानवे प्रकार की पूजा पांच रुपया तेरह आने में ६ बारहव्रत की पूजा साढे छे रुपयों में . बीसस्थानक पूजा नौ रुपये दो आने में ८ चौवीस जिनराज की पूजा साढे ग्यारह रुपयों में
इस प्रकार पूजन का विधान प्रचलित है।
श्री जैन पोरवाल पंच
ज्ञान भंडार पाडीन (राज.)