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( ३७ ) अहमदाबाद में डहेला के उपाश्रय में बिराजनेवाले श्रीरूपविजयजी पंन्यास के चरण भी यहां स्थापित हैं। इन सब की पूजन आदि क्रिया भण्डार की ओर से होती है इस से यह सिद्ध होता है कि इस तीर्थ पर प्राचीन प्रमाण श्वेताम्बरीय सम्पादन हैं; क्यों कि विजयगच्छ के, खरतरगच्छ के और तपागच्छवालों के चरण यहां पर स्थापित हैं। इस लिये गच्छ मान्यता का भी कोई प्रश्न बाकी नहीं रहता। श्रीमान् पंन्यासजी महाराज रूपविजयजी के चरण जो सम्वत् १९०५ में स्थापित कराये गये जिस के लेख की नकल इस प्रकार है।
॥ ९६० ॥ सं० १६०५ ना वर्षे वैशाख मासे शुक्लपक्षे अक्षयत्रतीया दिवसे श्रीतपागच्छाधिराज भट्टारक श्रीविजयसिंहमूरि वीनययोगाचार्य श्रीसत्यवीजयगणि तत्पट्टे योगाचार्य श्रीसत्यवीजयगणि तत्पटे योगाचार्य श्रीखिमाविजयगणि तत्पटोध्याद्रि मार्तडायमान योगाचार्य श्रीजिनविजयगणि तत्पटे योगाचार्य विद्वत जिनोत्तम श्रीउत्तमविजयगणि तत्पटे कोवींदकुलकमल दिनकराय मानयोगाचार्य श्रीपद्मविजयगणि तत्पटपंकज मधुकरायमान पन्यास विद्वद जिनसीरोमणि रूपविजयगणि ततपादुका श्रेयो निमितं प्रतिष्ठीतं पं० अमिविजयगणि भीः शुभं भवतु ।
इस तरह के प्रमाण जैन श्वेताम्बर समाज के चरणस्थापना विषय के मौजूद हैं।