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पगल्या प्रकरण.
इस मन्दिर में स्थापित प्रतिमाओं का वर्णन करने बाद चरणस्थापना की और लक्ष जाता है । और देखते हैं तो प्रथम तीर्थंकर श्रीऋषभदेव भगवान के माताजी मरुदेवी की मूर्त्ति मन्दिर में जाते सिढीयों की छत पर पाषाण के हाथीपर स्थापित है, उन के पास ही श्रीमान् सिद्धिचन्द्रजी भानुचन्द्रजी के चरण स्थापित किये हुवे हैं, और इन के स्थापित करने का सम्वत् १६८८ पाया जाता है ! श्रीमान् सिद्धिचन्द्रजी भानुचन्द्रजी का नाम इतिहास जाननेवालों से छिपा नही है । आपने " कादम्बरी " नाम के ग्रन्थ की टीका बनाई है और आप उच्च कोटी के विद्वान थे । और बादशाह अकबर के साथ 1 आप का गाढ सम्बन्ध था । आपहीने बादशाह अकबर को