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( २२ ) इस तरह मुनि महाराज श्रीझवेरसागरजीने जो "श्रीकेशरियाजी तीर्थनो वृत्तांत " नाम की पुस्तक प्रकाशित कराई है, उस में लिखा है कि--
" श्रीकेसरीयाजी उर्फे रिषभदेवजी की मूर्ति जे हाल श्रीधुलेव नगर में विराजमान हे, ते श्रीमुनिसुव्रतस्वामी बीस में तीर्थकर के सासन में प्रतिवासुदेव रावण की वखते लंका में विराजमान थी वांसे श्रीरामचंद्रजी रावण से जीत कर अयोध्या आते हुवे श्रीकेशरियाजी की मूर्तिकुं साथ लेते आए सो श्रीउजेण में विराजमान कीइ, ...........उजेण से कोई कारण पाकर श्रीकेशरीनाथजी की मुरती बागडदेश, बडोद गाम में प्राइ, वां कोइ वरसों तक बिराजमान रही.
बडोद गाम में, धुलेव के नजीक जीहां हाल में श्रीकेशरीआजी का पगला हे उस ठेकाणे देवप्रयोग से जमीन में मुरती आइ, इत्यादि.
उपर के कथन से सिद्ध होता है कि श्रीकेशरियानाथजी महाराज की प्रतिमा बागड देशान्तर्गत बडौद गांव से यहां लाई गई है, और बडोद में श्रीकेशरियानाथजी महाराज के चरण स्थापित हैं जिन की केशर पुष्प से पूजन होती है। और इस समय भी बडौद गांव के निकटवृत्ति गांवो में जैन श्वेताम्बर श्रावकों के घर हैं । एक जमाने में इन्ही प्रतिमाजी के कारण बडौद गांव तीर्थस्थान गिना जाता था ऐसा इतिहास से पता