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श्रीमान् विजयधर्मसूरिजी महाराज शिष्यमण्डली सहित मिले थे तब करीब दो घन्टे तक धर्म व्याख्या का जिकर चला था । उस के बाद श्रीमान् विजयनेम सूरिजी महाराज को भी निमन्त्रण आने से आप गेस्टहाउस में पधारे थे और करीब दो घन्टे तक धर्म व्याख्या का जिकर चला था और करीब दो साल पहले आपने श्रीमान् विजयवल्लभसूरिजी महाराज को निमन्त्रित कर गुलाबबाग में दो घंटे तक व्याख्यान सुने थे । इस तरह समय समय पर आप धर्मवार्ता सुनने में बडा लक्ष देते हैं और गाढ स्नेह से योग्य पुरुषों के धर्मवचन को सुनते रहते हैं। थोडे समय पूर्व ही आपने स्थानकवासी मुनि श्री चौथमलजी महाराज के मिलने पर इन की विनती से पोष वदि १० ( श्री पार्श्वनाथजी का जन्मदिन) और चेत सुदि १३ ( श्री महावीर भगवान् का जन्मदिन) के सारी मेवाड में अगते पालने बावत हुक्म फरमाया है और इन अगतों के बाबत मोहर छाप का परवाना भी लिखा दिया । इस तरह जीवदया का भाव भी आप में गहरा भरा हुवा है इसी लिये आप दयालु कहलाते हैं, और जब से राज्यशासन का काम अपने हाथ में लिया है तब से ही प्रजा के हितार्थ मदरसे, अस्पताल, सडकें, रेल्वे व अन्य कइ कामों की तर्फ लक्ष दिया है । एतदर्थ प्रजा भी आप की ऋणि है । और हम दावे के साथ कहते हैं कि भारतवर्षीय देशी रियास्तो में से यही एक रियास्त है कि जिसने समाज को बार बार सहायता पहुंचाई है, और