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(१०८) जाने के हों उन ही को नही किन्तु जो वहां से भगकर छूटकर इन के रक्षण नीचे आगये हों उन को भी रक्षण देना ।
बाकरोल के एक स्थम्भ पर महाराणा जयसिंह (जी)ने खुदवाया है कि चोमासे में उत्पन्न होनेवाले अनेक जंतुओं का नाश नहीं हो, इस कारण से आषाढी एकादशी से लेकर शरद पूर्णीमा तक चोमासे के चार महिने में ( गीनती में तीन आते हैं ) कोई तलाव का पानी अणीचे नही, घाणी फेरे नही, और मिट्टी के बरतन बनावे नही ।
उपरोक्त कथन जर्मनी ( बर्लिन ) के प्रोफेसर का बिलकुल ठीक है, और हम भी इस तरह की कृपा का बारबार अंत:करण से अनुमोदन करते हैं, और साथ ही आशा करते हैं कि जैनीयों के साथ मेवाड राज्य का चिरस्थायी सम्बन्ध बना रहेगा । किम्ऽधिकम् ?
हम वर्तमान महाराणाधिराज के व स्वर्गवासी महाराणांओं के अत्यन्त ऋणी हैं कि जिन्होंने आजतक जैनधर्म को व समाज को अपनाया और तीर्थ की रक्षा की, और अयंदा के लिये भी प्राशा करते हैं कि वर्तमान महाराणाधिराज सूर्यवंशी हिन्दुकूलसूर्य की मानप्रद पदवी के अनुकूल जैनधर्म, जैनतीर्थ व जैन समाज की रक्षा ( सहायता ) करने में कमी न करेंगे । और वर्तमान महाराणाधीराज की श्रद्धा अच्छे कामों की तर्फ ज्यादे रहती है, और इसी कारण आप से राजमहल में