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( ९४ ) अनेक देव आगे हुवा, वाग अरु विकरालि ॥ गोडा उट भडके घणां, कंपे देषी (खी) काल ॥४॥ तोप वहेल ताणे नही, अटकी भोम अथाह ॥ भील भांखर देव भेरवा, रोकी चहुं दीसे राह ॥५॥ सर्व चोरो की राह अथग, अथाह तो पामर आय के ॥ के पुवहेडे सदा सिवराम, कहे मत जाय देषे (खे) ॥६॥ कुण दाय कहा लडे हे, जिसे गड कोट चलावहे वोट ॥ दीइ दड दोट जाते चढे, हे जाइ कहा आरसे ॥ ७ ॥ ___ कुण ठोर जसवंत जोड कहे कर रहे वेग न लागी वार, वीयायो तहिा पायो, धणी फरके नेजाकार, चलके चिहुं दीसे मालडा पुरे पडे परहार, दोडे आगे दुसमनाइ बे बडाधार, एबुं अनेका आंतरे रधायोरे धणी, धुलेव सेवकांरी अरदास सुणो, आवो प्रभु दया आणी, उगारीयो कुसालने ठारी, अपाजीयां गाक्ष बंदी छोड महाराज तोपां पडी, रहे तहे कंपु कियो काल जंजाल, जंबुरा घटे तेहगा धणी गणा त्रुटे, एबुं मील नही छुटे लुटे असुराण नागराव आगल जाइ भीलडांरा, भालडा पाइ हाथी, महणाणो जाइ देखडेज मराण नगारा नीसाण ढोल सोनारा पलाण सार घोडा वाडी जाइ दोडी देवा दरबार पाथडा. पाथडे तहे अणलहे, हे फरंगाण मुगलाण पालारोनदे पार थाव भुसराणली नदी जाडी गुफ जाल भागा जाइ ठाला माला वहे उण वाट केते घरे झाडां हाथ घाले त्रण मुख साथ उभा थइ खेडझाडा नागडा नडाट कवण ए धोला काला भखां