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आपत्ति काल.
इस तीर्थ पर आपत्तियां भी कई दफा आई है । आगे का वृत्तांत तो मालूम नहीं किन्तु इतिहास से यह पता चलता है कि सम्वत् १८६३ में इन्दौर के सदाशिवराव जब मेवाड लूटने को आये तब इस मन्दिर पर भी आक्रमण किया था। जिस का बयान "कर्नल टोड "के बनाये हुवे "टॉडराजस्थान" में पृष्ठ ६१० पर इस प्रकार लिखा है
"अब देखा कि हुल्कर पर विपत्ति पडी है, तब सब बातें भूल गया और मेवाड से १६ लाख रुपया वसूल करने के लिये शीघ्रता से सदाशिवराव को भेजा । सदाशिवराव
आहत मेवाड का रुधिर चूसने के लिये जान व्याप्टिस्ट की कवायद सिखाइ हुई गोलंदाज पल्टन ले कर मेवाड की और