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________________ ( ७१ ) तीर्थ का नया इन्तजाम अव्वलतो सम्वत् १९०६ में महाराणाधिराज महाराणाजी श्रीसरुपसिंहजीने कर दिया था। और बाद में फिर सम्वत् १६३४ महाराणाधिराज महाराणाजी श्रीसजनसिंहजीने विशेष रूप से इन्तजाम कर एक कमेटी नियत करदी और सारे आम की वकफियत के लिये इश्तिहार नम्बर १६८१ माह विद ९ सम्वत् १९३४ को सरकार से जाहिर किया गया के पांच ओसवालों की कमेटी मुकर्रर हो कर काम होवेगा । इस के बाद फिर एक इश्तिहार नम्बर २४९ मंगसर विद १३ सम्वत् १९३५ में जारी हुवा जिस में भी श्वेताम्बरियों की कमेटी से ही इन्तजाम होना दरज है । अब इस से ज्यादा सिबूत और क्या चाहिये ? स्वर्गवासी महाराणाधिराज श्री फत्तेसिंहजी की तो जैन समाज पर असीम कृपा थी । आप की कृपा का वर्णन करने बैठे तो एक पुस्तक तैयार हो जाती है। आपने श्री केसरियानाथजी महाराज के एक जडाउ प्रांगी जिस की लागत दो लाख पैंतीस हजार रूपया है श्रीजी के मेट कर अपना नाम अमर किया; और इतनी बड़ी रकम की आंगी भेट करने में आप का पहला नाम है। वर्तमान महाराणाधिराज श्री भूपालसिंहजी की कृपा भी जैन समाज पर कम नहीं है। आप दयालु व प्रेजा को चाहनेवाले बड़े ही दातार उदारचित्त रहस है । बस इस प्रकरण को ज्यादे लम्बा न बढाकर यहीं पूरा करते हैं ।
SR No.007283
Book TitleKesariyaji Tirth Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherSadgun Prasarak Mitra Mandal
Publication Year1934
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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