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पहला अध्याय : केन्द्रीय शासन-व्यवस्था
सौतिया डाह सौतें अपनी डाह के कारण सदा से प्रसिद्ध रही हैं। अन्तःपुर की सपत्नियों में लड़ाई-झगड़े प्रायः होते रहते जिनका परिणाम अत्यन्त भयंकर होता । कोई अरुचिकर बात होने पर रानियाँ कोपगृह में जाकर बैठ जाती।' सुप्रतिष्ठ नगर के राजा सिंहसेन के अन्तःपुर में एक-सेएक बढ़कर रानियाँ थीं, लेकिन राजा को श्यामा सबसे अधिक प्रिय थी। यह देख कर शेष रानियों को बड़ी डाह होती। अपनी माताओं की सलाह से वे विष, शस्त्र आदि द्वारा श्यामा की हत्या का षड्यंत्र रचने लगीं, लेकिन सफलता न मिली। यह खबर श्यामा के कानों तक पहुँची तो उसने राजा से कहकर एक कूटागारशाला बनवायो और उसमें अपनो सपत्नियों की माताओं को भोजन-पान के लिए निमंत्रित किया । आधी रात के समय कूटागारशाला में आकर जब वे आराम से सोई पड़ी थी तो श्यामा ने आग लगवा दी, जिससे आग में जलकर उनकी मृत्यु हो गयी। क्षितिप्रतिष्ठित नगर के राजा जितशत्रु'के एक-से-एक सुन्दर अनेक रानियां थीं, फिर भी उसने चित्रकार की कन्या कनकमंजरी की बुद्धिमत्ता से प्रभावित हो उससे विवाह कर लिया। राजा बारी-बारी से अन्तःपुर की रानियों के साथ समय यापन किया करता था । कनकमंजरी को भी बारी आई । मनोरंजक आख्यान सुनाकर राजा को उसने इतना मुग्ध कर लिया कि वह छः महीने तक उसी के पास रहा । यह देखकर कनकमंजरी की सपत्नियों को बड़ी ईर्ष्या हुई; वे उसका छिद्रान्वेषण करने लगी। एक दिन सबने मिलकर राजा से कनकमंजरी की शिकायत की कि महाराज, आपकी वह लाड़ली आपके हो विरुद्ध जादू-टोना कर रही है। पूछताछ करने पर यह बात झूठी सिद्ध हुई। उस दिन से राजा ने कनकमंजरी के मस्तक को पढ़ से विभूषित कर उसे पट्टरानी बना दिया। उपासकदशा में राजगृह नगर के महाशतक गृहपति की रेवती आदि तेरह पत्नियों का उल्लेख मिलता है। रेवती अपने पति को सर्वप्रिय बनना चाहती थी, अतएव उसने विष आदि के प्रयोग से अपनी सपत्नियों को मरवा डाला।
१. अावश्यकचूर्णी पृ० २३० ।
२. विपाकसूत्र ६, पृ० ५४-५२ । - ३. उत्तराध्ययनटोका ६, पृ० १४१-श्र आदि । ___४, ८, पृ० ६२ ।