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परिशिष्ट ३
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रोहिणिज्जा-अन्तःपुर की स्वामिनी | वड्डुबक = वडुंबक-बहुत से
३७६ (६०) सम्बन्धी ५१८७ (६०)
वत्ती = खड़िया १५८ ( बृ०) लंद = काल १४३८ (६०) वद्दल = बादल ७४२ (बृ०) लडह - मनोज्ञ २३०५ (बृ०) ।
वरंडग = बरामदा ४८२४ (६०) लसुण (लसूण मराठी) = लहसुन
वलय = धान्य आदि भरने का
८६७ ' बृ०) कोठार ३२६८ (बृ०) लाउणालो = वींटी ५११ (नि०) |
| वलवा (वड़वा मराठी) = घोड़ी लाउलिग = डंगर-लाठी लिये हुए
२२८३ (६०) ४२६८ (६०)
वाइ = एक प्रकार का मद्य ४६२ लाया = लाजा ४८७ (नि०) .
(नि०) लाला = बत्ती ३४६५ (६०)
वाउलणा-व्याकुलता ११७५ (६०) लूह = रूक्ष १३५८ (६०) वाउलग्ग-पुरुष का पुतला (बाहुली लेच्छारिअ = लिप्त ६१०८ (नि०)|
मराठी में) १५५ (नि०) लेव = बर्तन पर रंग करना ३३०
वाडी - बाड १०६६ (बृ० )
(नि०) वाणिगिणी = प्रोषितभर्तृका २८४७ लोढण = कपास ओटना ४७४
(बृ०) (ओ०) वारय = घट २०४८ (६०) लोही = कवल्ली = कड़ाही २६५१ |
वारवारेण = बारबार ५१२ (६०) (नि०)
वालचिय = पुरुष ४०५ (पिं०) वालुंक = ककड़ी ३७६ (६०)
विंटय = अंगूठी (बीटी मराठी में) वंठ = जिसका विवाह न हुआ हो |
२२५२ ( बृ०) __२१८ ( ओ०) विकडु = कड़वी औषधि १०१० वइ (बइ मराठी ) = बाड़ी २७६
(६०) (नि०) | विगुरुव्विय = वस्त्रादि से अलंकृत वक्खर = भांड ४४७७ (६०)
२२०१ (६०) वच्चागि = चार्वाक ३. ३४४ (व्य०) विच्छू = बिच्छू ६१६ (६०) वट्टखुर = गोल खुरवाला ( घोड़ा) विजल (देखिए बिजल)
३७४७ (६०) वियण ( वियणि )=पंखा (बीजना वड = विभाग ६१४२ (नि० चू०) हिन्दी में) २४२ ( नि०) वडग = बड़ा ६३७ (पिं०) वियरग = कूपिका २८१६ (६०) वडसाला = डाली १३५ (नि०). | वियाया = प्रसूता ( ब्याना हिन्दी) वडार = बंटवारा ६५५ ( ओ०) । ७. ३०४ (व्य०)