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________________ ५३८ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज मुग्गछिवाडी-कोमल मूंग की फली मंडग = मांडा १७०६ (६०) - ६६४ (६०) मक्कडी-बंदरी (माकड मराठी में) | मुदिया = दाख ६७४ (बृ० ) . २५४५ (६०) मुद्धि = हरण आदि ७७ (६०) मक्कोडग = मकौड़ा २६३० (ब) मूड (मुडा मराठी) = अन्न का मग्गु = जलकाक १८३ (६०) ३ (ब एक माप ४. १८३ ( व्य० टी०) मच्छिया = मक्खी-माछी २६२ मेहुण (मेहुणा=बहनोई, या (नि०) साला मराठी में ) मामा का मडप्फर = गमन में उत्साह ४.६० पुत्र (भानजा)२८२२ (क) (व्यः) मेहुणि = मामा या बुआ की लड़की मणूस-मनुष्य (माणुस गुजराती- या साली मराठी में भी ५७७५ मराठी में) १०२ (६०) (नि०) मधुमुह = मिठबोला ( दर्जन) मोअ = मोक = कायिकी = मत्र ४११७ (बृ०) ७४७ (६०) मधूला = पादगंड ३८६५ (६०) । - मोगरग = गेंदे का फूल ( मोगरा मप्पक = माप ३२६ (नि० च०) मराठी में) ६७८ (६०) मरुग = ब्राह्मण १०१३ (ब) मोरंड = तिल आदि के लडडू मल = जो हाथ से घिसकर उतारा | ३२८१ (६०) मोरग = कुंडल ५२२७ (बृ०). जाये ५३४ (नि०) महरिया = गणिनी ५२५६ (बृ.) माउगाम = स्त्रीसमूह ( महाराष्ट में रट्ठउड = राठौड़ ३७५७ (६०) स्त्री के अर्थ में प्रचलित; भोजपरी रडण = रोना (रडवं गुजराती में) मउगी) २०६६ ( बृ०) ४५७१ (६०) माल = माला, तला २२४६ (बु०) रन = अरण्य (रान गुजराती व मिंठ = महावत २०६६ (७०) मराठी में ) १.८७२ (६०) मि = मैं ( मराठी में 'मि' ) ४१६४ रसवइ = रसोई ५४ ( ओम्भाध्य ) (बृ.) राउल = राजकुल २६३६ (६०) मीरा = बड़ा चूल्हा ४७०६ रिक्खा = रेखा १८३८ (बृ० ) (नि० च०) रीढा = इच्छानुसार २१६२ (६०) मीराकरण = चटाइयों द्वारा द्वार रुंच = ओटना ५७४ (नि.) का आच्छादन २०४३ (६०) रुंद = विस्तीर्ण (रुंद मराठी में) मुइंग (मुयिंग) = चींटी (मुंगी - २३७५ (६०) मराठी में ) २६१ (नि०) रोट्र = चावल का आटा३६३ (ओ०)
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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