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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
है । नंद राजाओं के मयूरपोषकों के किसी गाँव के मुखिया का वह पुत्र था। कहा जाता है कि चाणक्य नन्द राजाओं द्वारा अपमानित होकर राजपद के योग्य किसी व्यक्ति को खोज में घूमता- घामता इस गाँव में आया और उसने चंद्रगुप्त को अपने अधिकार में ले लिया । बड़े हो जाने पर चाणक्य ने उसे साथ में ले पाटलिपुत्र के चारों ओर घेरा डाल दिया । नन्द के सिपाहियों ने उसका पोछा किया और चाणक्य चन्द्रगुप्त को लेकर भाग गया। तत्पश्चात् हिमतकूड के राजा पर्वतक के साथ मिलकर चाणक्य ने फिर से नन्दों पर चढ़ाई की और अबकी बार वह विजयी हुआ। चाणक्य नन्द राजाओं को सकुटुम्ब मरवाने की योजना में सफल हुआ और चन्द्रगुप्त का राज्य निष्कंटक हो गया ।
मौर्यवंश की जौ के साथ तुलना
मौर्यवंश की जौ के साथ तुलना की गयो है । जैसे जौ बोच में मोटा तथा आद ओर अन्त में होन होता है, वैसे हो मौर्यवंश को भी बताया गया है | प्रथम मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त को बल, वाहन आदि विभूति से हीन कहा है । चन्द्रगुप्त के बाद उसका पुत्र बिन्दुसार, उसका पुत्र अशोक, उसका कुणाल और फिर उसका पुत्र सम्प्रति हुआ । ये सब आगे-आगे एक दूसरे से महान् होते गये । सम्प्रति के पश्चात् मौर्यवंश की अवनति होती चलो गयी । *
उज्जयिनी का शासक सम्प्रति
कुणाल अशोक का पुत्र था । उज्जयिनी नगरी उसे आजीविका के
१. बौद्धों के महावंस की टीका ( वसत्यपकासिनी), १, पृ० १८० में भी मौर्य और मोर में संबंध बताते हुए कहा है कि मौर्यों द्वारा निर्मित भवनों में मोरों की गर्दन जैसा नीले रंग का पत्थर लगाया जाता था । एलियन के अनुसार पाटलिपुत्र के मौयों के प्रासाद में पालतू मोर रक्खे जाते थे, रायचौधुरी, वही पृ० २१६ |
२. बौद्ध परम्परा में, महावंसटीका, पृ० १८१ आदि के अनुसार, को अंतिम नंद धननन्द का उत्तराधिकारी कहा है ।
पब्बत
३. उत्तराध्ययनटीका, पृ० ५७ आदि; आवश्यकचूर्णी, प० ५६३ आदि । तथा देखिए कथासरित्सागर, जिल्द १, पुस्तक २, अध्याय ५ ।
४. बृहत्कल्पभाष्य १.३२७८ आदि । अशोक के सम्बन्ध में अन्य परमराओं के लिए देखिए रायचाचुरा, बहो, पृ० ४,२४९; बो० सो० लाहा, सम ऐशियेंट इंडियन किंग्स, बुद्धिस्ट स्टडीज़, पृ० २०५ आदि ।