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________________ परिशिष्ट २ ५२१ उज्जयिनी लौटन पर उसे अभयकुमार की चालाकी का पता लगा तो वह बहुत शर्मिन्दा हुआ। उसने अपनी चालाकी से अभयकुमार को राजगृह से पकड़वा मँगाया, लेकिन अभयकुमार भी कुछ कम नहीं था। वह प्रद्योत को एक खटिया से बाँधकर राजगृह ले गया। श्रेणिक प्रद्योत पर बहुत गुस्सा था। वह उसे अपनो तलवार से मार डालना चाहता था, लेकिन अभयकुमार ने उसे बचा लिया।' मौर्यवंश नन्दों का राज्य राजा कूणिक के पुत्र उदायि को मृत्यु के पश्चात् पाटलिपुत्र का राज्य नापितदास को मिला। यह प्रथम नन्द कहलाया। लेकिन दण्ड, भट और भोजिक आदि क्षत्रिय उसे दासपुत्र समझकर उसका उचित सम्मान नहीं करते थे। इस पर नापितदास को बहुत क्रोध आया। इस प्रकार के कुछ लोगों को उसने मरवा दिया और कुछ को पकड़ कर जेल में डलवा दिया। कपिल नामक ब्राह्मण के पुत्र कल्पक को उसने अपना कुमारामात्य नियुक्त किया । प्रथम नन्द की मृत्यु के पश्चात् महापद्म नाम का नौवा नन्द हुआ। उसने कल्पक के वंश में उत्पन्न शकटाल को मंत्री बनाया। शकटाल के स्थूलभद्र और श्रियक नाम के दो पुत्र, तथा जक्खा , जक्खदिन्ना, भूया, भूयदिन्ना, सेणा, वेणा और रेणा नाम को सात कन्याएं थीं। सम्राट चन्द्रगुप्त चन्द्रगुप्त चाणक्य द्वारा प्रतिष्ठित मौर्यवंश का प्रथम राजा हो गया १. देखिए आवश्यकचूणों २, पृ० १५९-६३ । २. देखिए वही २, पृ० १७९ आदि | ३. यह घटना महावीर-निर्वाण के ६० वर्ष बाद घटित हुई, स्थविरावलिचरित ६.२३१-४३ । नंद और उसके वंशज तब तक मगध का शासन करते रहे जब तक कि चाणक्य ने अपने बुद्धि-बल से अन्तिम नंद राजा को पदच्युत न कर दिया । यह घटना महावीर-निर्वाण के १५५ वर्ष बाद घटी, वही ३३९ । ४. आवश्यकचूर्णी पृ. १८१ आदि । तथा देखिए कथासरित्सागर, जिल्द १, अध्याय ४ । नंदों के सम्बन्ध में बौद्ध परम्परा के लिए देखिए महावंस ५.१५; तथा सयचौधुरी, वही, पृ० १८७ आदि ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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