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________________ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज . राजा शतानीक की चम्पा पर चढ़ाई एक बार की बात है, दधिवाहन के जीते-जी कौशाम्बी के राजा शतानीक ने चम्पा पर चढ़ाई कर दी। दधिवाहन को सेना हार गयी तथा दधिवाहन की कन्या वसुमती और उसकी रानी धारिणी शतानीक के एक ऊँट-सवार के हाथ पड़ गयो। ऊँट-सवार धारिणी को अपनी पत्नी बनाना चाहता था। दोनों को वह कौशाम्बी ले आया। यहाँ आकर धारिणो का देहान्त हो गया, और वसुमती को उसने धनदेव नामक व्यापारी के हाथ बेच दिया। वसुमती धनदेव के घर रहने लगी, लेकिन धनदेव को पत्नी मूला वसुमतो से बहुत ईष्यो करती थी। उसने वसुमती के केश कटवाकर उसे एक घर में बन्द कर दिया। कुछ समय बाद उसने महावीर भगवान का अभिग्रह पूर्णकर उन्हें आहार से लाभान्वित किया । वसुमती अब चन्दना अथवा चन्दनबाला कही जाने लगी। चन्दना ने महावीर के पादमूल में बैठकर दोक्षा स्वीकार को और वह उनके साध्वी-संघ का नेतृत्व करती हुई समय बिताने लगी। कौशाम्बी का राजा शतानीक राजा शतानीक कौशाम्बी में राज्य करते थे। उनके पिता का नाम सहस्रानोक, और पुत्र का नाम उदयन' था। उदयन चेटक की कन्या मृगावती से पैदा हुआ था। श्रमणोपासिका महासती जयन्ती सहस्रानीक की पुत्री, शतानोक की भगिनो और उदयन की फूफी थी। निर्ग्रन्थ साधुओं के ठहरने के लिए वसति देने के कारण वह प्रथम शय्यातरी कहलायी । जयन्ती ने महावीर से अनेक प्रश्न पूछे थे।३ १. आवश्यकनियुक्ति ५२० आदि; आवश्यकटोका, पृ० २९४ आदि । २. बौद्धों की धम्मपद अट्ठकथा १, पृ० १६५ में उदेन ( उदयन ) शब्द की बड़ी विचित्र व्युत्पत्ति दी है। कहते हैं कि जब उदयन की माता गर्भवती थी तो कोई राक्षस उसे उठाकर ले गया। उसने अल्लकप्प के पास किसी वृक्ष के ऊपर उसे रख दिया । जब बालक का जन्म हुआ तो बहुत तूफान ( उतु) चल रहा था, इस कारण बालक का नाम उदयन रक्खा गया। तथा देखिए पेंजर, कथासरित्सागर जिल्द १, पुस्तक २, अध्याय ९, पृ० ९४-१०२ । ३. व्याख्याप्रज्ञप्ति १२.२ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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