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________________ परिशिष्ट १ ५१३ राजा उदायी राजा कूणिक को मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र उदायो राजगद्दो पर बैठा। चम्पा छोड़कर वह पाटलिपुत्र आकर रहने लगा था। उसके कोई सन्तान नहीं थी।' श्रेणिक और कूणिक जैसा प्रभावशाली वह नहीं था। उसके साथ शिशुनाग वंश के राजाओं की परम्परा ही समाप्त हो गयो। महावीर का राजघरानों से सम्बन्ध वैशाली का गणराजा चेटक हैहयवंशी राजा चेटक वैशाली में राज्य करता था । काशीकोशल के अठारह गणराजा उसके अधीन थे। चेटक की बहन त्रिशला भगवान महावीर की माँ थी। उसके सात कन्याएं थीं जो प्रायः राजघरानों में ब्याही थी। उसकी कन्या प्रभावती का विवाह वोतिभय के राजा उद्रायण के साथ, शिवा का उज्जैनो के राजा प्रद्योत के साथ, मृगावती का कौशाम्बी के राजा शतानीक के साथ, ज्येष्ठा का महावीर के ज्येष्ठ भ्राता कुंडग्रामवासी नन्दिवर्धन के साथ, पद्मावती का चम्पा के राजा दधिवाहन के साथ और सबसे छोटी चेल्लणा का राजगृह के राजा श्रेणिक के साथ हुआ था; सुज्येष्ठा अविवाहित हो रही। सिंधु-सोवोर का राजा उद्रायण सिन्धु-सोवीर का राजा उद्रायण एक शक्तिशालो राजा था। उसे सोलह जनपदों और तरेसठ नगरों का शासक तथा दस मुकुटबद्ध राजाओं का स्वामी बताया गया है । तापसों का यह भक्त था। उसकी रानी प्रभावती से अभोतिकुमार का जन्म हुआ। कहते हैं कि उद्रायण के मन में भगवान महावीर के दर्शन करने का विचार पैदा हुआ और भगवान तुरत चंपा से आकर वहाँ स्वयं उपस्थित हो गये। यहाँ उन्होंने उद्रायण को अपने धर्म में दीक्षित किया । उद्रायण राजर्षि १. निरयावलि १; आवश्यकचूर्णी २, पृ० १७९ । २. आवश्यकचूर्णी २, पृ० १६४ । दिगम्बर विद्वान् हरिषेण के बृहत्कथाकोश ९७.३६ के अनुसार चेटक की रानी का नाम सुभद्रा था, उसके सात कन्याएँ थीं। ३. व्याख्याप्रज्ञप्ति १३.६ । ३३ जै०
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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