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________________ परिशिष्ट २ ५०३ जब उसके सातवीं सन्तान पैदा हुई तो देवको ने झट से नन्द की पत्नी यशोदा की कन्या से उसे बदल लिया। आगे चलकर कृष्ण बड़े हुए और उन्होंने कंस का बध किया। अपने जमाई का वध सुनकर जरासंध को बहुत क्रोध आया । इस समय जरासंध के भय से समुद्रविजय, कृष्ण, बलराम, नेमि आदि यादवकुमार मथुरा के पश्चिम में चले गये, और यहां कृष्ण की पत्नी सत्यभामा के भानु और सभानु नामक पुत्रों ने द्वारका को बसाया । जरासंध ने अपनी सेना के साथ द्वारका को कूच किया और यहां कृष्ण के हाथों उसका वध हुआ । ___ कृष्ण के अनेक महिषियां थीं जिनमें आठ मुख्य बतायी गयी हैं। इनमें उग्रसेन की कन्या सत्यभामा उनकी पहली रानी थी जिसने भान और सुभान को जन्म दिया। दूसरो रानी पद्मावतो राजा रुधिर को कन्या थी। तीसरी गौरी वोतिभय के राजा मेरु की, चौथी गांधारी पुष्कलावती के राजा नग्नजित् को, पांचवीं लक्षणा सिंहलद्वीप के राजा हिरण्यलोम की, छठी ससीमा अरक्खुरो के राजा राष्ट्रवधन की, सातवों जांबवती जंबवन्त के राजा जमवन्त की, तथा आठवों रुक्मिणी कुंडिनी. पुर के राजा भीष्मक की कन्या थी। जांबवती के गर्भ से संब, और रुक्मिणी के गर्भ से प्रद्युम्न ( पज्जुन्न ) का जन्म हुआ।" समुद्रविजय और शिवादेवी के पुत्र अरिष्टनेमि कृष्ण वासुदेव के चचेरे भाई थे । यादवों को वे अत्यन्त प्रिय थे। एक बार की बात है वे कृष्ण की आयुधशाला में गये और उन्होंने धनष पर बाण रखकर छोड़ दिया, जिससे समस्त पृथ्वी कांप उठो। फिर उन्होंने कृष्ण का पांचजन्य शंख फूंका । यह देखकर कृष्ण को भय हुआ कि कहीं वे उनके राज्य को हरण न कर लें । बलदेव ने उन्हें समझाया भी कि वे तीर्थकर माल रक्खा गया । गजसुकुमाल ने कुमार अवस्था में ही श्रमण दीक्षा ग्रहण की, अन्त:कृद्दशा ३। १. वसुदेवहिंडी पृ० ३६८ आदि; कल्पसूत्रटीका ६, पृ० १७३ आदि। . २. कल्पसूत्रटीका ६, पृ० १७६ आदि । ब्राह्मण परम्परा के लिए देखिए रायचौधुरी, वही, पृ० ११६ । ३. ज्ञातृधर्मकथा ५, पृ० ६८ । ४. प्रश्नव्याकरण ४, पृ० ८८ में हिरण्यनाभ नाम दिया गया है। ५. देखिए स्थानांग ८.६२७; वसुदेवहिंडी पृ० ७८ आदि ८२, ६४, ९८ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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